तो वहीं इन एमओयू के फाइलों से निकल हकीकत में तब्दील होने की बात करें तो इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिसर्जेंट राजस्थान और जयपुर , उदयपुर , कोटा में करोड़ों रुपए का खर्च करके किए गए करीब 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश के 98 एमओयू में से अभी तक केवल 20 एमओयू ही धरातल पर आ सके हैं। जबकि अभी कुछ की प्रक्रिया जारी है लेकिन बाकी के एमओयू कब कागजों से बाहर निकलेंगे, इसका अभी कोई अता पता नहीं है। इतना ही नहीं विभाग में एमओयू के क्रियान्वयन की इस कछुआ चाल पर खुद विभागीय मंत्री नाराजगी जता चुके हैं।
कृषि विभाग से मिली जाककारी के मुताबिक रिसर्जेन्ट राजस्थान में 4142 करोड़ रूपए के 20 एमओयू और जयपुर, कोटा, उदयपुर में हुई ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट में 6000 करोड़ रूपए के 78 एमओयू हुए थे। जिसमें रिसर्जेन्ट राजस्थान में हुए 12 एमओयू क्रियान्वित हो चुके हैं, जबकि 4 ड्रॉप हो चुके हैं। तो वहीं बाकी एमआयू प्रक्रियाधीन हैं। जानकारी के मुताबिक, ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट में हुए एमओयू में से 8 ही क्रियान्वित हुए हैं जबकि 18 प्रक्रिया के दौर से गुजर रहे हैं।
बता दें कि शुक्रवार को प्रदेश के कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी ने रिसर्जेंट राजस्थान और राजस्थान ग्लोबल एग्रीटेक मीट में हुए करीब 10 हजार करोड़ रुपए के एमओयू के क्रियान्वयन की समीक्षा की। इस दौरान मिली जानकारी के मुताबिक, अधिकतर एमओयू अभी तक क्रियान्वयन की जद तक नहीं पहुंचे हैंं। ऐसे में मंत्री ने जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए हैं और एमओयू के क्रियान्वयन को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही के लिए कार्यवाई की बात कही है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को एमओयू की क्रियान्वयन के निर्देश दिए।