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राजस्थान की 105 जेलों में एक साथ बड़ा एक्शन..इतना सब कुछ छुपाकर बैठे थे बंदी

locationजयपुरPublished: Dec 01, 2020 01:51:05 pm

Submitted by:

JAYANT SHARMA

इस पूरे खेल का खुलासा पहली बार बड़े स्तर पर किया गया है। पहली बार जेल के अलावा अन्य जांच एजेंसियों ने जेलों की सलाखों के पीेछे का सच खंगाला है। ऑपरेशन फ्लश आउट में जेलों की सच्चाई सामने आ गई। कुछ दिन पहले ही शुरु किए गए इन अभियान में अब तक बड़ी संख्या में मोबाइल फोन, सिम चार्जर और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद किया गया है।

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जयपुर
जीरों टॉलरेंस सिस्टम यानि भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं…। एसीबी के इस मूलमंत्र के बाद अब जेल प्रशासन ने भी इसे अपना लिया है और इसी नीति पर काम करना शुरु कर दिया है। इसी सिस्टम के तहत अब दस दिन से जेलों में जो सर्च की जा रही है वह आज तक नहीं की गई है। सलाखों के पीछे क्या—क्या खेल होते हैं. किस तरह से हार्डकोर बंदी वसूली के लिए जेल से ही बैठकर फोन कर देते हैं. बड़ी गैंग जेलों से ही आॅपरेट होती है…। किस तरह से जेल में प्रतिबंधित सामग्री पहुंचती है। इस पूरे खेल का खुलासा पहली बार बड़े स्तर पर किया गया है। पहली बार जेल के अलावा अन्य जांच एजेंसियों ने जेलों की सलाखों के पीेछे का सच खंगाला है। ऑपरेशन फ्लश आउट में जेलों की सच्चाई सामने आ गई। कुछ दिन पहले ही शुरु किए गए इन अभियान में अब तक बड़ी संख्या में मोबाइल फोन, सिम चार्जर और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद किया गया है।
ऑपरेशन फ्लश आउट अभियान शुरू, दस दिन में इतना सब कुछ बरामद
जेल डीजी राजीव दासोत ने बताया कि 21 नवम्बर से ही जेलों में एक नया अभियान शुरु किया गया है। जेलों में भी जीरों टॉलरेंस सिस्टम पर काम शुरु किया गया है। इसके तहत वे कार्मिक टारगेट पर हैं जो बंदियों से कुछ लालच के लिए उन तक अवैध सामान पहुंचाते हैं। साथ ही बंदियों की भी तलाशी ली जा रही है वह भी बड़े स्तर पर। इस अभियान के तहत अब तक प्रदेश की 105 जेलों को दो बार सर्च किया जा चुका है और यही कारण है कि लगातार चल रही इस सर्च में सिर्फ दस दिन के दौरान ही करीब 35 मोबाइल फोन, बारह चार्जर, पंद्रह से ज्यादा सिम कार्ड, चरस, गांजा, तंबाकू और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद किया गया है। अधिकतर सामान सेंट्रल जेलों से बड़े बंदियों के पास से बरामद किया गया है। दासोत ने बताया कि इतनी कम समय में इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल फोन तो तब बरामद हुए हैं जब जेलों में मुलाकात बंद है और पेशियां भी ना के बराबर चल रही है। ऐसे में सीधा शक जेल कार्मिकों पर जा रहा है।
चार जेलर और एक प्रहरी के खिलाफ एक्शन
जेल अफसरों ने बताया कि जेलों में जेल कार्मिक और प्रहरी कई बार लालच में आकर पद का दुरुपयोग करते हैं। लेकिन अब उनको बक्शा नहीं जाएगा। पहले कार्मिकों पर मामूली एक्शन लेकर उनको छोड़ दिया जाता था। लेकिन अब निलंबन की प्रकिया शुरु कर दी गई है और यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि उनको नौकरी के बाद मिलने वाले लाभ से भी वचिंत किया जा सके। ताकि जेल कार्मिकों और बंदियों के बीच किसी भी तरह का कनक्शन नहीं बने। कम समय में ही चार जेलरों का तलादला कर उनकी फाइल शुरु कर दी गई है।
जेलों से गैंग आॅपरेट हो रही, बंदियों का कर रहे तबादला
जेल अफसरों ने बताया कि जेलों से गैंग आॅपरेट होने की सूचनाएं मिलती रही हैं। इस साल भी कई बड़े अपराधों में जेलों से गैंग आॅपरेट होने की सूचनाएं मिली तो उसके बाद करीब चालीस से ज्यादा बंदियों को टारगेट किया गया। इन बंदियों में से अधिकतर हार्डकोर बदमाश हैं जो जेलों से ही किसी तरह से अपनी गैंग चला रहे हैं। जांच की तो पता चला कि कई बंदियों को तो एक ही जेल में तीन साल तक भी हो चुके हैं। ऐसे बंदियों को उनके कम्फर्ट जोन से अब बाहर निकाला गया है और अन्य जेलों में शिफ्ट किया गया है। उन पर नजर रखने के लिए अलग से ही स्टाफ तैनात किया गया है। प्रदेश में 145 जेलें हैं जिनमें से 105 जेलों में बंदी बंद है और बाकि चालीस ओपन जेल में बंदियों को बाहर जाकर काम करने की आजादी है।
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