जेल डीजी राजीव दासोत ने बताया कि 21 नवम्बर से ही जेलों में एक नया अभियान शुरु किया गया है। जेलों में भी जीरों टॉलरेंस सिस्टम पर काम शुरु किया गया है। इसके तहत वे कार्मिक टारगेट पर हैं जो बंदियों से कुछ लालच के लिए उन तक अवैध सामान पहुंचाते हैं। साथ ही बंदियों की भी तलाशी ली जा रही है वह भी बड़े स्तर पर। इस अभियान के तहत अब तक प्रदेश की 105 जेलों को दो बार सर्च किया जा चुका है और यही कारण है कि लगातार चल रही इस सर्च में सिर्फ दस दिन के दौरान ही करीब 35 मोबाइल फोन, बारह चार्जर, पंद्रह से ज्यादा सिम कार्ड, चरस, गांजा, तंबाकू और अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद किया गया है। अधिकतर सामान सेंट्रल जेलों से बड़े बंदियों के पास से बरामद किया गया है। दासोत ने बताया कि इतनी कम समय में इतनी बड़ी संख्या में मोबाइल फोन तो तब बरामद हुए हैं जब जेलों में मुलाकात बंद है और पेशियां भी ना के बराबर चल रही है। ऐसे में सीधा शक जेल कार्मिकों पर जा रहा है।
जेल अफसरों ने बताया कि जेलों में जेल कार्मिक और प्रहरी कई बार लालच में आकर पद का दुरुपयोग करते हैं। लेकिन अब उनको बक्शा नहीं जाएगा। पहले कार्मिकों पर मामूली एक्शन लेकर उनको छोड़ दिया जाता था। लेकिन अब निलंबन की प्रकिया शुरु कर दी गई है और यह भी ध्यान रखा जा रहा है कि उनको नौकरी के बाद मिलने वाले लाभ से भी वचिंत किया जा सके। ताकि जेल कार्मिकों और बंदियों के बीच किसी भी तरह का कनक्शन नहीं बने। कम समय में ही चार जेलरों का तलादला कर उनकी फाइल शुरु कर दी गई है।
जेल अफसरों ने बताया कि जेलों से गैंग आॅपरेट होने की सूचनाएं मिलती रही हैं। इस साल भी कई बड़े अपराधों में जेलों से गैंग आॅपरेट होने की सूचनाएं मिली तो उसके बाद करीब चालीस से ज्यादा बंदियों को टारगेट किया गया। इन बंदियों में से अधिकतर हार्डकोर बदमाश हैं जो जेलों से ही किसी तरह से अपनी गैंग चला रहे हैं। जांच की तो पता चला कि कई बंदियों को तो एक ही जेल में तीन साल तक भी हो चुके हैं। ऐसे बंदियों को उनके कम्फर्ट जोन से अब बाहर निकाला गया है और अन्य जेलों में शिफ्ट किया गया है। उन पर नजर रखने के लिए अलग से ही स्टाफ तैनात किया गया है। प्रदेश में 145 जेलें हैं जिनमें से 105 जेलों में बंदी बंद है और बाकि चालीस ओपन जेल में बंदियों को बाहर जाकर काम करने की आजादी है।