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चुनावी किस्से…तब भी मैसेज वायरल होते थे, तरीका अलग था

locationजयपुरPublished: Sep 06, 2018 09:46:58 am

Submitted by:

santosh

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चुनावी किस्से…तब भी मैसेज वायरल होते थे, तरीका अलग था

जयपुर। संचार क्रांति के साथ मोबाइल-इंटरनेट युग में हो रहे इस साल के विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का अहम रोल माना जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी एक दूसरे की नीतियों के खिलाफ और व्यक्तिगत हमले वाले मैसेज वायरल के लिए इसका भरपूर उपयोग कर भी रही हैं।
वहीं हम जब चुनावों के फ्लेशबैक में जाते हैं तो राजनीतिक मैसेज वायरल करने की परंपरा हमें तब भी देखने को मिलेगी, लेकिन इसका तरीका कुछ अलग था। हम बात कर रहे हैं 1984 के लोकसभा चुनावों की, जब प्रचार के दौरान भाजपा ने कांग्रेस में चल रही अंदरूनी उठक-पटक को रोचक तरीके से बोर्ड पर लिखा और इसे कई शहर और कस्बों के बाजारों में लगवा दिया। बाजार में लोग रुककर इसे पढ़ कर चर्चा करते थे।
उस समय झालावाड में भी इसी तरह के बोर्ड लगाए गए थे, जिस पर एक ओर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का फोटो लगा हुआ था, जबकि दूसरी ओर उस समय झालावाड़ से भाजपा प्रत्याशी चतुर्भुज वर्मा का पम्फलेट चिपका रखा था। बीच में ‘इंका में भगदड़ जारी’ शीर्षक डाला गया था। वहीं नीचे की ओर देशभर में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान का वर्णन किया गया था। इसमें लिखा था कि टिकट नहीं मिलने से इंका में बगावत का सिलसिला जारी है। नौसिखिये पार्टी अध्यक्ष इंका को संभाल नहीं पा रहे हैं।
नतीजे में भगदड़ मच रही है। रक्षा मंत्री रहे यशवंत राव चव्हाण के निकट सहयोगी महाराष्ट्र के दो विधायक इंका से इस्तीफा देकर विपक्ष के साथ आ गए हैं। जिला प्रमुख सुजान सिंह गुर्जर नाराज होकर घर बैठ गए हैं। अजमेर में गलत प्रत्याशी चयन से जिलाध्यक्ष व सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने इंका छोड़ दी है। बिहार, आंध्र प्रदेश, गुजरात के बारे में भी लिखा गया। बोर्ड 7 -8 दिन लगे रहे थे। लोग रुककर बोर्ड को पढ़ते थे। कांग्रेस ने 1977 में हारने के बाद जनता पार्टी सरकार के खिलाफ कार्टून आदि बनवाकर लगवाए थे।

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