55 साल की डाइली के पति का कुछ साल पहले निधन हो गया था। तीन बेटे और एक बेटी को पालपोष बड़ा किया। वह खुद पशुपालक है। दो दशक से स्थानीय स्तर पर पशुपालकों को अधिकार दिलाने की वकालात कर रही है। लोकहित पशुपालक संस्थान के साथ मिलकर चारागाह विकसित करने, पशुपालकों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, जंगलों में पशुधन चराने के लिए उपयुक्त माहौल बनाने और पशुपालकों का जीवन स्तर सुधारने की मुहिम चला रही है।
मेड्रिड शहर में जर्मन सरकार हर साल माइग्रेशन रूट पर पशुपालकों के लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित करती है। 2007 में भारत की ओर से डायली ने प्रतिनिधित्व किया था। डाइली का कहना है कि जर्मनी समेत कई देशों में पशुपालकों को सरकारें बहुत सम्मान देती है और उनके अधिकारों का संरक्षण करती है। पशुपालकों को आर्थिक सहयोग भी दिया जाता है। कई देशों में जानवरों के लिए सेंचूरी बनी हुई है। चारागाह का भी बड़े पैमाने विकसित किए जाते हैं।