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राजस्थान में अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और भाजपा में से किसका पलड़ा रहा भारी?

locationजयपुरPublished: Mar 24, 2019 11:06:37 am

Submitted by:

santosh

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले आठ लोकसभा चुनावों में अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया हुआ है।

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जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पिछले आठ लोकसभा चुनावों में अपना राजनीतिक दबदबा कायम किया हुआ है। राज्य में अब तक हुए सोलह आम चुनावों में से दस में कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन 1989 के नौवीं लोकसभा चुनाव में भाजपा ने संयुक्त विपक्ष के साथ तेरह सीटें जीतकर पहली बार अपना दबदबा दिखाया था। इस चुनाव में जनता दल ने ग्यारह तथा एक सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के खाते में गई जबकि इससे पहले आजादी के बाद 1951 से 1984 तक हुए आठ लोकसभा चुनावों में सात में दबदबा रखने वाली कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।
भाजपा ने 1999 में तेरहवीं लोकसभा के चुनाव में राज्य की पच्चीस सीटों में से सोलह सीटें जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया जबकि कांग्रेस नौ सीटें ही जीत पाई। वर्ष 2004 के चौदहवीं लोकसभा चुनाव में भी उसने अच्छा प्रदर्शन किया और उसके 21 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस चार सीटों पर ही सिमट कर रह गई। गत 2014 के सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में तो भाजपा ने मोदी लहर के कारण सभी पच्चीस सीटें जीतकर कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। कांग्रेस ने 1984 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति के चलते सभी पच्चीस सीटों पर जीत दर्ज की थी।
भाजपा ने 1991 के लोकसभा चुनाव में भी बारह सीटें जीती। इस चुनाव में कांग्रेस ने उससे एक सीट ज्यादा जीती थी। इसके बाद 1996 के ग्यारहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों ने बराबर 12-12 सीटें जीती जबकि एक सीट अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवाड़ी) ने जीती। इस दौरान सिर्फ 2009 के चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा । उसने बीस सीटें जीती, भाजपा केवल चार सीट ही जीत पाई।
पिछले आठ लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चार में अपना दबादबा बनाया जबकि एक में वह अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस के बराबर रही जबकि कांग्रेस केवल तीन चुनावों में ही अपना दबादबा रख सकी। इन आठ चुनावों में भाजपा का सबसे ज्यादा दबदबा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्वाचन जिले झालावाड़ में रहा जहां 1989 से अब तक हुए सभी चुनावों में भाजपा ने जीत दर्ज की।
राजे ने 1989 से 1999 तक लगातार पांच बार चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमाया। इसके बाद वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। वर्ष 2004 के चुनाव में भाजपा ने राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा और वह चुनाव जीते। इसके बाद वर्ष 2009 में बनी झालावाड़ बारां सीट पर भी दुष्यंत सिंह लगातार दोनों चुनाव जीतकर भाजपा का दबदबा बनाया रखा।
इसी तरह भाजपा कोटा में छह बार चुनाव जीती। वैद्ध दाउ दयाल जोशी ने 1989 से लगातार तीन बार चुनाव जीता। इसके बाद 1999 में रघुवीर सिंह कौशल ने लगातार दो बार तथा पिछले लोकसभा चुनाव में ओम बिड़ला चुनाव जीते। पाली संसदीय क्षेत्र में 1989 से गुमान मल लोढा ने लगातार तीन बार विजय हासिल की। वर्ष 1999 में पुष्प जैन ने लगातार दो बार तथा पिछले चुनाव में पी पी चौधरी ने चुनाव जीता। इस दौरान अजमेर से रासा सिंह रावत ने पांच बार चुनाव जीतकर भाजपा का दबदबा कायम किया।
उन्होंने 1989 से लगातार तीन बार तथा फिर 1999 एवं 2004 में जीत हासिल की। पिछला चुनाव सांवरमल जाट ने जीता था हालांकि उनके निधन के बाद हुआ उपचुनाव कांग्रेस ने जीता। या। इसके अलावा इस दौरान भाजपा ने उदयपुर, भीलवाड़ा, जालोर चार, टोंक एवं सवाईमाधोपुर में चार बार चुनाव जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमाया। इस दौरान भाजपा झुंझुनूं में केवल एक बार पिछला लोकसभा चुनाव ही जीत पाई जहां पार्टी की उम्मदीवार संतोष अहलावत ने चुनाव जीता। हालांकि इस बार उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। है। इसी तरह नागौर संसदीय क्षेत्र में भाजपा वर्ष 2004 एवं 2014 का चुनाव ही जीत सकी।
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