इस बार चुनाव को लेकर कांग्रेस की रणनीति राष्ट्रीय बनाम स्थानीय नजर आ रही है। बीजेपी जहां अपने राष्ट्रीय नेताओं को एक सीट से दूसरी सीट पर घुमा रही है, वहीं कांग्रेस का प्रचार अभियान पूरी तरह से स्थानीय नेताओं के हाथ में है। बीजेपी में पूरा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है, जबकि कांग्रेस में राहुल-प्रियंका गांधी पहले चरण में भी बहुत कम बार प्रचार के लिए राजस्थान आए और दूसरे चरण में भी उनकी कोई सभा यहां प्रस्तावित नहीं है।
क्या ये कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा?
दरअसल, कांग्रेस यहां चुनाव को पूरी तरह से स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रखना चाहती है। पहले चरण के चुनाव में वह इस रणनीति में सफल भी रही है। चूरू का चुनाव कस्वां बनाम राजेंद्र राठौड़ रहा। हालांकि बीजेपी ने इसे कस्वां बनाम मोदी बनाने की भरपूर कोशिश जरूर की थी। इसी तरह दौसा में भी पीएम का रोड शो हुआ लेकिन यहां का चुनाव जाति और गोत्र तक ही सीमित रहा। यहां चुनावी मैदान में चर्चा कांग्रेस के मुरारी मीना और भाजपा के कन्हैयालाल मीना के बीच रही। बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर भी पीएम ने बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा की, बावजूद इसके सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बना है।
यहां कांग्रेस से आगे है बीजेपी
गौरतलब है कि कांग्रेस फिलहाल राष्ट्रीय स्तर पर काफी कमजोर है और इस लोकसभा चुनाव में वह कोई चेहरा भी नहीं दे पाई। यहां तक कि इंडिया गठबंधन में भी पीएम का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस का पूरा अभियान मोदी के खिलाफ है।
इसके उलट बीजेपी तीसरी बार हैट्रिक लगाने के दावे के साथ नरेंद्र मोदी को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर पेश कर रही है। पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत है लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुकाबला काफी रोचक था। हालांकि, अंत में बीजेपी को बहुमत मिला।