मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (
Cm Ashok Gehlot ) की ओर से ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला (
bd kalla ) ने सोमवार को विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 की धारा 5 में संशोधन द्वारा लोकायुक्त की पदावधि पांच वर्ष से बढ़ाकर आठ वर्ष की गई थी। लेकिन देश के अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त पांच वर्ष की अवधि के लिए पद धारण करता है। इसके अतिरिक्त लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 (2014 का केंद्रीय अधिनियम सं. 1) के अधीन अध्यक्ष की पदावधि भी पांच वर्ष है।
देश के अन्य राज्यों में लोकायुक्त और केंद्र में लोकपाल के अध्यक्ष की पदावधि में समानता बनाए रखने के लिए राज्य सरकार (
Rajasthan Government ) ने यह विनिश्चय किया गया कि लोकायुक्त के पद के लिए पांच वर्ष की अवधि पर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि लोकायुक्त को और अधिक सशक्त बनाने के लिए सरकार इसके कार्यकाल को 8 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष करने के लिए यह विधेयक लाई है। यह सरकार का अधिकार है कि वह लोकायुक्त का कार्यकाल घटा या बढ़ा सकती है। अधिकांश राज्यों में लोकायुक्त का कार्यकाल 5 वर्ष का ही है।
लोकायुक्त को शक्तिशाली बनाने के लिए ही राज्य सरकार यह विधेयक लेकर आई है। उन्होंने देश के लोकपाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब देश के लोकपाल के कार्यकाल की अवधि 5 वर्ष है तो फिर राजस्थान के लोकायुक्त के कार्यकाल की अवधि 5 वर्ष क्यों नहीं की जा सकती।
बता दें कि इससे पहले भी विधेयक सदन में रखा जा चुका है लेकिन सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
क्या है लोकायुक्त ( What is Lokayukta ) लोकायुक्त भारत के राज्यों द्वारा गठित भ्रष्टाचाररोधी संस्था है। इसका गठन स्कैंडिनेवियन देशों में प्रचित ‘अंबुड्समैन’ (
ombudsman ) की तर्ज पर किया गया था। लोकायुक्त के अध्यक्ष पद की नियुक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री और सदस्यों की नियुक्ति विधानसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या राज्यपाल की ओर से नामित कोई विशेष व्यक्ति कर सकता है।
लोकायुक्त प्रदेश में चल रही किसी भी भ्रष्टाचारी गतिविधियों में किसी भी मामले की जांच कर सकता है या करवा सकता है। चाहे इस मामले में वर्तमान मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा का कोई सदस्य या राज्य सरकार के अधिकारी ही क्यों न शामिल हों।