भारतीय सेना के जांबाज झुंझुनूं जिले के ताल गांव के निवासी शमशाद खान बीते दिन जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर शहीद हो गए। जिसके बाद गुरुवार को उनका उनका पार्थिव देह उनके पैतृक निवास पर लाया गया। पार्थिव देह पैतृक गांव ताल पहुंची तो घर में कोहराम मच गया। माता आमना बानो और वीरांगना नेक बानो का रो-रो कर बुरा हाल था। परिवार के बड़े सदस्य उनको सांत्वना दे रहे थे, लेकिन अकेले में वे भी अपने आंसू नहीं रोक पा रहे थे। फिर पूरे सम्मान के साथ उनको सुपुर्द ए खाक किया गया। इस दौरान उनके जनाजे को कंधा देने के लिए लोगों की लंबी कतारें दिख रही थी।
वाइस ऑफ एक्स सर्विस मैन लीग के प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन लियाकत अली खान ने बताया कि अबतक कायमखानी कौम के 197 शहीद हो चुके हैं। इनमे शमशाद खान 197 वें नंबर पर शहीद हुए हैं।
शहीद के पड़दादा बहादुर खान खेतड़ी के तत्तकालीन राजा अजीत सिंह की सेना में ओहदेदार थे और शहीद के दादा कामदार खान इंडियन केवलरी 61 में घुड़सवार फौज में शामिल थे। तो वहीं उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्व में भी भाग लिया था। जबकि शहीद के पिता अब्दुल हमीद खान राजस्थान पुलिस में थे
शहीद शमशाद के 14 वर्षीय बड़े बेटे मो. सूफीयान ने अपने पिता को नम आंखों से मिट्टी देते हुए कहा कि मैं भी मेरे पापा की तरह फौज में जाकर देश की सेवा करूंगा और अपनी मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी भी लगानी पड़े तो पीछे नहीं हटूंगा। सेना के अधिकारी कैप्टन रणदीप सिंह ने राष्ट्रीय ध्वज शहीद के पुत्र को समर्पित किया।
रसूलपुर के ताल गांव में गुरुवार के दिन हर तरफ भारत माता के साथ गांव के लाडले शमशाद के जयकारे गूंज रहे थे। कोई उसकी बहादुरी की बातें बता रहा था तो कोई उनके पार्थिव शरीर (ताबुत) को कंधा दे रहा है। सैकड़ों विद्यार्थियों ने एक कतार में खड़े होकर जब शहीद की अंतिम यात्रा में फूल बरसाए तो हर किसी की आखें नम हो गई।
शहीद शमशाद के चार बच्चे हैं। इनमें बड़ा बेटा सूफियान खान, बेटी खूशबु खान 12 साल की है, तो एक बेटी साजिया खान 10 साल की। जबकि सबसे छोटा बेटा शोएब खान महज 6 साल का है।
जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में शमशाद खान तैनाती पर थे, जहां गश्त के दौरान बर्फ में दबने से उनकी की जान चली गई थी। शहीद शमशाद को जयपुर से आई सेना की टुकड़ी 16 गढ़वाल यूनिट के कैप्टन रणदीप सिंह के नेतृत्व में एवं पुलिस की टुकड़ी ने राइफलें झुका कर और बिगुल बजाकर गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
शहीद को भरी आंखों से दी गई अंतिम विदाई...