इसमें से विकासकर्ताओं को संबंधित स्थानीय निकाय, विकास प्राधिकरण या यूआईटी 1000 रुपए की दर से भुगतान करती है। ऐसे में विकासकर्ता इतनी कम दर पर आवास बनाने में रुचि नहीं ले रहे। विकासकर्ताओं का लगातार दबाव है कि इस दर को बढ़ाया जाए, क्योंकि महंगाई दर बढऩे और मजदूरी अधिक होने के कारण लागत 1000 रुपए से ज्यादा आती है।
इधर जेडीए भी जमीनों की दरें अधिक होने का हवाला देकर दरों को बढ़ाने की मांग कर रहा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इसे 1600 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। जयपुर में नहीं आया कोई प्रोजेक्ट यह पॉलिसी सित बर 2015 में आई थी। इसमें चार प्रोविजन रखे गए थे, जिसमें से प्रोविजन 3 के तहत निजी विकासकर्ता अपनी जमीन पर तो योजनाएं ला रहे है, लेकिन प्रोविजन 4 के तहत सरकारी जमीन पर आवास लाने की योजना में रुचि नहीं ले रहे।
प्रोविजन 4 में निजी विकासकर्ता को सरकारी जमीन पर आवास बनाने है। इस प्रोविजन के तहत अब तक जयपुर जेडीए में एक भी योजना नहीं आई, जबकि इसके लिए जेडीए दो-तीन बार ईओआई भी जारी कर चुका है। घट सकती है मंजिल दूसरी तरफ सीएम आवास योजना में मकानों की मंजिलों को भी कम करने क प्रस्ताव है।
वर्तमान में सीएम आवास योजना में जी+३ का प्रावधान है। जिसे कम करके जी+२ किया जा सकता है। जेडीए ने मंजिले घटाने का प्रस्ताव दे रखा है। तर्क दिया जा रहा है कि बिल्डर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस प्रस्ताव को लेकर भी हाईपावर कमेटी की 20 सितम्बर की शाम 5 बजे बैठक आयोजित की जाएगी।