जनवरी: अलवर में मूक बधिर बालिका प्रकरण प्रदेश का संकट कलेंडर अलवर से शुरु हुआ। 11 जनवरी को अलवर के तिजारा फाटक ओवरब्रिज पर एक मूक बधिर बालिका लहुलूहाल अवस्था में मिली। प्रथम दृष्टया बलात्कार का मामला दर्ज किया गया। बालिका का जयपुर में इलाज चला। इस घटना के विरोध में आंदोलन हुए। सीबीआइ को जांच के लिए पत्र भी लिखा। लेकिन पुलिस ने 117 दिन बाद इस घटना को सड़क हादसा बता दिया। परिवार को आर्थिक सहायता व संविदा पर नौकरी के वादे किए गए थे, लेकिन पूरे नहीं हो सके।
अप्रैल: राजगढ़ में मंदिर तोड़ने पर देशभर में विरोध अलवर जिले के राजगढ़ में अप्रैल माह में अतिक्रमण के नाम पर 300 साल पुराना मंदिर तोड़ा गया। इस घटना का देशभर में विरोध हुआ। मंदिर के साथ ही स्थानीय लोगों के मकान-दुकानों पर भी बुल्डोजर चलाया गया। मंदिर तोड़े जोन के बाद कांग्रेस ने कहा कि राजगढ़ में भाजपा के बोर्ड ने मंदिर तोड़े हैं, इन्हें फिर से बनवाया जाएगा। लेकिन घटना के चार माह बाद ना तो मंदिर बनवाए गए और ना ही स्थानीय लोगों को राहत दी गई।
तीन माह में करौली, जोधपुर व उदयपुर की घटनाओं से हुई किरकिरी प्रदेश के तीन जिलों अप्रैल, मई और जून में अपराधिक घटनाएं हुई। अप्रैल में करौली, मई में जोधपुर और जून माह में उदयपुर में हुई घटनाओं से सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा-
अप्रैल- करौली हिंसा करौली जिले में 2 अप्रैल को नव संवत्सर के उपलक्ष्य में निकाली जा रही मोटरसाइकिल रैली पर पथराव के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया। करौली में इंटरनेट बंद किया गया। उपद्रव के बाद कर्फ्यू लगाया गया। इस घटना पर राजस्थान सरकार की किरकिरी हुई।
मई: जोधपुर में दंगे जोधपुर में जालोरी गेट के पास धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो समुदाय में विवाद हो गया। दो गुटों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई। इलाके में इंटरनेट सेवा बंद कर 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया। पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को जोधपुर भेजा गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि जोधपुर जल रहा था और मुख्यमंत्री जन्मदिन के गुलदस्ते लेने में व्यस्त थे।
जून: उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या उदयपुर में 28 जून को कन्हैयालाल की गला काटकर निर्मम हत्या कर दी गई। घटना से जुड़े वीडियो वायरल होने के बाद राजस्थान सहित देशभर में आक्रोश दिखा। सरकार ने पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी। एनआइए को जांच सौंपी गई। सरकार की ओर से मृतक कन्हैयालाल के दोनों बेटों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता दी गई। घटना के 19 दिन बाद कफ्र्यू हटाया गया। लेकिन घटना से उदयपुर में पर्यटन के साथ राजस्थान की छवि को भी नुकसान पहुंचा।
मु्ख्यमंत्री ने भाजपा पर जड़ा आरोप मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घटना के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि हार के डर से भाजपा प्रदेश में दंगे करवा रही है। उन्होंने कहा कि देश में हिंसा और तनाव का माहौल है। अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक दोनों में अविश्वास पैदा हो रहा है। प्रधानमंत्री को देश के नाम संबोधन देना चाहिए।
जुलाई: भरतपुर में संत की आत्महत्या जुलाई माह में भरतपुर के पसोपा में संत विजयदास के आत्मदाह के बाद हुई मौत के बाद सरकार चौतरफा घिर गई। सरकार पर साधु संतों के आंदोलन को नजरअंदाज करने से लेकर माफियाओं से गठजोड़ के आरोप लगे। भाजपा ने इस मामले में दो कमेटियां बनाई और आक्रामक रुख अपनाए रखा। प्रदेश सरकार ने क्षेत्र की सभी वैध खनन गतिविधियों को बंद करने के निर्देश दिए। भरतपुर मामले में घिरी सरकार ने जालोर में संत रविनाथ की आत्महत्या पर भाजपा पर पलटवार किया। कांग्रेस ने तीन सदस्यीय टीम भी बनाई। जालोर संत आत्महत्या मामले में भाजपा विधायक का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस ने कहा कि किस मुंह से बोले भाजपा।
अगस्त: दलित छात्र की मौत सवाल, अलवर में भी बवाल अब अगस्त माह में दलित छात्र की मौत पर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष के साथ दलित संगठन सरकार पर हमलावर है। प्रदेश सरकार पर दलित विरोधी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। सरकार ने इस घटना पर भी डेमेज कंट्रोल का प्रयास किया है। पीडि़त परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से 5 लाख रुपए, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से 8 लाख रुपए राशि देने का ऐलान किया है। लेकिन इस मामले में भी उदयपुर हत्याकांड की तरह 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता व परिजनों को सरकारी नौकरी देने की मांग की जा रही है।
मॉब लिंचिंग से फिर अलवर बदनाम अपराध की दृष्टि से क्रिटिकल जिला अलवर मॉब लिंचिंग की घटना से फिर सुर्खियों में है। अलवर जिले के गोविदंगढ़ निवासी चिरंजीलाल की पीट-पीटकर हत्या के बाद सरकार एक बार फिर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घिर रही है। भाजपा ने कहा कि यह घटना कांग्रेस सरकार की उन्मादियों को दी गई छूट का परिणाम है। मुख्यमंत्री को जवाब देना होगा कि उनकी सरकार वोट की राजनीति के लिए कितने लोगों की जान लेगी।