राखी का त्योंहार नजदीक, कार्रवाई का अभाव
लचीले कानून के चलते बच निकलते हैं मिलावट खोर
स्वास्थ्य विभाग देता रहता है संसाधनों में कमी की दुहाई हर वर्ष त्योंहार के समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से नकली मावा व अन्य खाद्य सामग्री को पकडऩे के लिए कुछ दिनों का अभियान चलाया जाता है। अभियान के दौरान खाद्य विभाग की टीम अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर नकली खाद्य पदार्थों के सैंपल लेती है और बाद में उस सैंपल को जांच के लिए लैबोरेट्रीज में भिजवाया जाता है। लेबोरेट्री में 14 दिन में जांच का प्रावधान है पर इस समयावधि में जांच नहीं हो पाती है। स्वास्थ्य विभाग भी केवल सूचना मिलने पर ही कार्रवाई कर रहा है। उधर नकली मावा जांच के लिए बनी लेबोरेट्रीज का बुरा हाल होने के कारण जांच समय पर नहीं हो पाती और दोषियों को सजा भी नहीं मिल पाती। ऐसे में दोषी लोगों के होंसले बुलंद हो रहे हैं।
– केवल त्योंहार के समय ही जागता है स्वास्थ्य विभाग
– मंत्री मान रहे है नकली मावे को बनने से रोक पाना मुश्किल
– मिलावट खोरी रोकने को लेकर नहीं है सख्त कानून
– त्योंहारी सीजन में सिंथेटिक दूध की बढ़ जाती है खपत
– दूध की तुलना में मावे की सप्लाई ज्यादा होना चितांजनक
– त्योंहारी सीजन में कई हजार किलो मावे को पकड़ता है विभाग
– इसके बाद भी मिलावट करने वालों पर नहीं होती है कार्रवाई
– मात्र 80 रुपए किलो तक में बिक रहा है मिलावटी मावा