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राखी पर बिकने के लिए आया हजारों किलो नकली मावा

locationजयपुरPublished: Aug 06, 2019 07:12:32 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

Rajasthan News: Making Synthetic Mawa and Milk, Rakhi Festival Rajasthan में जितना Milk पैदा नहीं होता उससे कहीं ज्यादा Mawa बनाया जा रहा है। यह यह Synthetic Mawa धीमे जहर ( Slow poison ) के रूप में काम करता है। Rakhi Festival आते ही मिलावटी मावा और उससे बनने वाली Diseases की भरमार हो गई है। सबकुछ जानते हुए भी इस संबंध में Government Action का अभाव बना हुआ है।

Adulterated Mawa coming from trains

Adulterated Mawa coming from trains

जयपुर . प्रदेश ( Rajasthan ) में जितना दूध पैदा नहीं होता उससे कहीं ज्यादा मावा ( Synthetic Mawa ) बनाया जा रहा है। यह धीमे जहर के रूप में काम करता है। त्योंहार ( festival ) आते ही नकली ( synthetic ) मावा ( Mawa ) और उससे बनने ( Making ) वाली बीमारियों ( diseases ) की भरमार हो गई है। सबकुछ जानते हुए भी इस संबंध में सरकारी कार्रवाई ( government action ) का अभाव बना हुआ है।
प्रदेश में नकली मावे की भरमार
राखी का त्योंहार नजदीक, कार्रवाई का अभाव
लचीले कानून के चलते बच निकलते हैं मिलावट खोर
स्वास्थ्य विभाग देता रहता है संसाधनों में कमी की दुहाई

हर वर्ष त्योंहार के समय स्वास्थ्य विभाग की ओर से नकली मावा व अन्य खाद्य सामग्री को पकडऩे के लिए कुछ दिनों का अभियान चलाया जाता है। अभियान के दौरान खाद्य विभाग की टीम अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर नकली खाद्य पदार्थों के सैंपल लेती है और बाद में उस सैंपल को जांच के लिए लैबोरेट्रीज में भिजवाया जाता है। लेबोरेट्री में 14 दिन में जांच का प्रावधान है पर इस समयावधि में जांच नहीं हो पाती है। स्वास्थ्य विभाग भी केवल सूचना मिलने पर ही कार्रवाई कर रहा है। उधर नकली मावा जांच के लिए बनी लेबोरेट्रीज का बुरा हाल होने के कारण जांच समय पर नहीं हो पाती और दोषियों को सजा भी नहीं मिल पाती। ऐसे में दोषी लोगों के होंसले बुलंद हो रहे हैं।
– नकली मावा से बनी मिठाइयां बढ़ा रही है बीमारियां
– केवल त्योंहार के समय ही जागता है स्वास्थ्य विभाग
– मंत्री मान रहे है नकली मावे को बनने से रोक पाना मुश्किल
– मिलावट खोरी रोकने को लेकर नहीं है सख्त कानून
सिंथेटिक दूध और मावे की सबसे ज्यादा खपत त्योंहारी सीजन में होती है। इस समय मिठाइयों की दुकानों पर तरह-तरह की मिठाइयों की भरमार होती है। मिठाइयों को बेचने और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मिठाई की दुकानों को सजाया जाता है। एक आंकड़ के अनुसार प्रदेश में प्रतिदिन 35 लाख लीटर दूध की सप्लाई होती है। इसके विपरीत कई गुणा ज्यादा मावे की सप्लाई होती है। जो संभव नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अगस्त माह में करीब 20 हजार किलो नकली मावा जब्त किया है। हाल यह है कि यह नकली मावा 80 रुपए किलो तक में बिक रहा है। इसके बाद भी मिलावट करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
मिलावट का सिलसिला चरम पर
– त्योंहारी सीजन में सिंथेटिक दूध की बढ़ जाती है खपत
– दूध की तुलना में मावे की सप्लाई ज्यादा होना चितांजनक
– त्योंहारी सीजन में कई हजार किलो मावे को पकड़ता है विभाग
– इसके बाद भी मिलावट करने वालों पर नहीं होती है कार्रवाई
– मात्र 80 रुपए किलो तक में बिक रहा है मिलावटी मावा
नकली मावे से बनने वाली मिठाइयों से कई गंभीर बीमारियां होती है, जिसमें कैंसर भी शामिल है। डॉक्टरों ने भी इस बात को साफ तौर पर स्वीकारा है कि नकली मावे से बनी मिठाइयों से उल्टी, दस्त, यहां तक की आंतों का कैंसर भी हो जाता है। बच्चों के लिए यह काफी नुकसान दायक होती है। यही कारण है कि राखी, होली, दिवाली जैसे त्योंहार के बाद कई लोगों को अस्पताल जाकर उपचार कराना पड़ता है।
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