जयपुर
गर्मी का दौर शुरू होने के साथ ही प्रदेश के कई इलाकों के जल स्त्रोतों में पानी खत्म होने के साथ पानी का संकट शुरू हो गया है। जिसके कारण लोगों को अपने मवेशियों को बचाने के लिए गांव और घर छोडकऱ अन्यत्र जाने की नौबत आ गई है। दूसरी ओर जिन इलाकों में पानी की कोई कमी नहीं है वहां मवेशियों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए नया तरीका अपनाया गया है। देखें प्रदेशभर की कुछ खास तस्वीरें..
पानी के लिए गांव और घर छूटा
बांसवाड़ा
जल संकट के चलते छोटी सरवन और दानपुर इलाके के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ पानी की उपलब्धता वाले इलाकों की ओर जा रहे हैं, जहां पानी की सुविधा होगी वहीं ये लोग अपना डेरा डालेंगे और वर्षा आने तक वहीं रहेंगे। इस दौरान उन्हीं इलाकों में मजदूरी करके गुजारा भी करेेंगे।
फोटो- दिनेश तम्बोली
गर्मी से बचाव का नया तरीका
सीकर।
क्षेत्र में बढ़ती तेज गर्मी का असर आमजन के साथ पशुओं पर भी दिखाई देने लगा है। जिसके चलते बाजोर स्थित एक डेयरी में पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए के लिए नया तरीका अपनाया गया है। यहां पानी की एक लाइन डालकर फव्वारों की व्यवस्था की गई। इन फव्वारों के आगे आकर राहत पाते पशु।
फोटो- पंकज पारमुवाल
568 वर्ष का फतेहपुर कस्बा
फतेहपुर/सीकर.
फतेहपुर कस्बा मंगलवार को 568 वर्ष का हो जाएगा। कस्बे की स्थापना चैत्र सुदी पंचमी संवत 1508 में हुई थी। हिसार के शासक नवाब फतेह खां ने फतेहपुर को बसाया था। पांच दशकों में कस्बे ने हर क्षेत्र में वो मुकाम हासिल किया जिससे शहरवासियों को आज गर्व है।
फसल का ढेर लगाता किसान परिवार
सवाईमाधोपुर
मौसम में बदलाव के साथ ही किसान अपनी फसल के कार्य मे जुट गए हैं। फसल कट कर तैयार हो गयी है। सवाईमाधोपुर के सूरवाल गांव के एक खेत मे गेंहू की फसल का ढेर लगाता किसान परिवार।
जान सांसत में और चिंता सफाई की
डूंगरपुर.
शहर के महारावल स्कूल के पास सड़क के नीचे गंदे नाले की सफाई करने के लिए दो कर्मचारी अपनी जान सांसत में रखकर नाले में उतरे। अंदर केवल एक ही पाइप मौजूद था और इससे ही हवा का आदान-प्रदान हो रहा था, बावजूद इसके इन कर्मचारियों में सफाई की चिंता नजर आई।