जयपुर
गर्मी के सितम से इनदिनों प्रदेश के लोग बेहाल हैं। सरकारी लापरवाही इस परेशानी को दोगुना करने का काम कर रही है। दरअसल ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत काम कर रहे मजदूरों के लिए कार्यस्थल पर विश्राम स्थल और छाया की कोई व्यवस्था नहीं है। बदहाल व्यवस्था मजदूरों पर सितम बढ़ाने का काम कर रही है। देखें प्रदेशभर की कुछ खास तस्वीरें..
न छाया की व्यवस्था और न दवा पानी का प्रबंध
बांसवाड़ा
जिले में पारा 42 डिग्री चल रहा है और छोटी सरवन इलाके के होलाखा गांव के इस वनस्पति विहीन पहाड़ी भूभाग में मनरेगा के तहत कच्चे तालाब के निर्माण कार्य में लगे ये श्रमिक प्रचंड गर्मी से निढाल होकर विश्राम के लिए कुछ देर बैठ तो गए लेकिन कार्यस्थल पर न छाया की व्यवस्था थी और न दवा पानी का कोई प्रबंध था।
गमछे, चुन्नी, कपड़ा, आदि के जरिये जैसे-तैसे गर्मी का बचाव करके इन मजदूरों ने समय काटा। एक महिला श्रमिक ने तो तगारी ही सिर पर ढंककर धूप से बचाव किया। रोजी रोटी के इस संघर्ष में ये हालात कब बीमार कर दें कहा नहीं जा सकता।
फोटो- दिनेश तम्बोली
#VoteKaren नहीं तो युवा कंटीली झाड़ियों पर दौड़ते रहेंगे
सीकर.
हर साल एक लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई के लिए शिक्षानगरी सीकर आते हैं। लेकिन यहां युवाओं के खेलकूद के लिए बने खेल स्टेडियम में सुविधाओं के नाम पर सिर्फ कंटीली झाड़ियां हैं। हर चुनाव में नेता खेल स्टेडियम की सूरत बदलने का दावा करते हैं। लेकिन यहां पिछले 15 वर्षो में कुछ नहीं बदला। यहां एक भी खेल का मैदान पूरी तरह तैयार नहीं है। मजबूरी में खिलाडिय़ों को निजी एकेडमियों में जाना पड़ रहा है। यदि अब भी वोट नहीं किया तो खेल स्टेडियम की सूरत बदलने वाली नहीं है।
फोटो- पंकज पारमुवाल
आओ प्यास बुझा लें..
भीलवाड़ा
जिले के श्रीपुरा गांव के बाहर बनी पानी की खेळ पर ऊंटों का काफिला प्यास बुझाता हुआ नजर आया।
गर्मी से राहत के लिए पानी में बैठा बाघ
सवाईमाधोपुर
जिले भर में गर्मी का दौर लगातार बढ़ता जा रहा है। गर्मी से बचाव के लिए लोग अलग-अलग तरह के प्रयास कर रहे हैं। गर्मी का असर इंसानों के साथ-साथ वन्यजीवों पर भी देखने को मिल रहा है। गर्मी से राहत पाने के लिए पेड़ की छाव में रणथम्भौर नेशनल पार्क में पानी में बैठा बाघ।