जयपुर
प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय होती है। कई बार ये इतनी मनमोहक हो जाती है कि देखने वाले को लगता है मानो किसी ने अपनी कारिगरी के बूते इसे तैयार किया है। लेकिन सच्चाई यह होती है कि इन कलाकृतियों का सृजन खुद-ब-खुद हो जाता है। देखें प्रदेशभर की कुछ खास तस्वीरें
प्राचीन इमारत नहीं, प्रकृति की कला है...
बीकानेर
तस्वीर में जो नजर आ रहा है वो देखने में किसी पुरानी प्राचीन इमारत की दीवारें लग रही हैं। लेकित ऐसा नहीं है। यह नजारा बीकानेर जिले के श्रीकोलायत गांव के ईंट भट्टों का है। जो बीकानेर शहर से करीब पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।..
दरअसल यहां मिट्टी की खुदाई के बाद बरसाती पानी के आने पर इस तरह की कलाकृतियां अपने आप ही बन जाती हैं।
फोटो- नौशाद अली।
धूप से इस तरह बचाव
अलवर
इनदिनों गर्मी के सितम के कारण दोपहर के समय सड़कें सूनी नजर आने लगी हैं। मंगलवार को टेल्को चौराहा रोड पर एक महिला छाते से धूप से बचाव करते हुए नजर आई।
बारी-बारी से प्यास बुझाते तोते
सिरोही।
गर्मी का दौर शुरू होते ही इंसान तो क्या पक्षियों को भी पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वैद्यनाथ महादेव मंदिर के बाहर ट्यूबवैल के पाइप से टपकते पानी से बारी-बारी से प्यास बुझाते तोते। इस बीच खास बात यह रही कि जब एक तोता पी रहा था तो दूसरा अपनी बारी का इंतजार करता नजर आया।
फोटो- जितेन्द्र सिंह बारड़
पानी के लिए मारामारी
सीकर।
गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में पीने के पानी की समस्या बढ़ती ही जा रही है। शहर के कई मोहल्लों में पानी कुछ देर के लिए ही आता है जिसके चलते लोगों को टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं।..
सीकर के मोहल्ला कुरैशीयान में मंगलवार दोपहर दो बजे भरी दोपहरी में लोगों ने टैंकर के इंतजार में पहले ही मटके कतार में रख दिए। बाद में टैंकर के आते ही पानी भरने की होड़ शुरू हो गई।
फोटो- पंकज पारमुवाल