दरअसल राजस्थान में सूदखोरी कारोबार बेहद गहरी जड़ें रखता है। इसे काबू करने के लिए सालों पहले बनाया गया साहूकारी #Rajasthan-Police कानून सरकार भुला बैठी है। कानून के तहत हर साल ब्याज की दरें तय की जानी थीं लेकिन राजस्थान में ऐसा सालों से नहीं हुआ। राज्य में सूदखोरी के रोज नए मामले सामने आते हैं। सालाना हजारों लोग सूदखोरों से प्रताड़ित होकर पुलिस तक पहुंचते हैं। लेकिन उसके बाद भी सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं। अब अन्य राज्यों की बात करें तो आंधप्रदेश में 2000 में बने मनी लेंडर एक्ट के जरिए ब्यार की दर केवल दो प्रतिशत निर्धारित की है। तेलांगना राज्य में आरबीआई के नियमों के अनुसार ब्याज दर लेने की मंजूरी है। इससे ज्यादा होते ही सजा का प्रावधान है। केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश में मनी लेंडर एक्ट के तहत काम हो रहा है और सिर्फ दो प्रतिशत तक ही ब्याज लेने की इजाजत है। राजस्थान में भी यह एक्ट लागू है लेकिन ब्याज के बारे में सरकार का रुख साफ नहीं है और इसी का फायदा सूरदखोर उठा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में असुरक्षित लोन के लिए बारह प्रतिशत ओर सुरक्षित लोन के लिए दस प्रतिशत सालाना बयाज दर तय है। उडीसा ओर बिहार में में भी मनी लेंडर एक्ट के तहत ब्यार दरें नौ और बारह प्रतिशत सालाना है।
दरअसल राजस्थान मनी लैंडिग एक्ट 1963 के तहत आवेदन करने वाले व्यक्ति को पहले एक साल के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी किया जात हे और इसके बाद संबधित संस्था या व्यक्ति को नियमानुसर यह तीन साल तक के लिए बढ़ाया जाता है। इस दौरान हर लेन देन पर सरकार की नजर हो जाती है। ऐसे में कुछ चुनिंदा लोग ओर बड़ी संस्थाओं ने ही इसे फाॅलो किया है। प्रदेश में लाखों ऐसे सूदखोर हैं जो हर महीने पांच प्रतिशत से लेकर तीस प्रतिशत ब्याज तक पर उधार दे रहे हैं। अधिकतर वे लोग उनके चंगुल में फसंते हैं जो पूरे सरकारी दस्तावेज नहीं होने के कारण बैंक नहीं जा सकते। ऐसे लोगों में मजदूरों और छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश मे सूदखोरों से परेशान होकर जान देने वालों की संख्या भी कम नहीं है। कोरोना ओर लाॅकडाउन में यह संख्या और भी बढ़ी है। सूदखोरोे से तंग आकर अब उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने पीड़ितों के लिए आॅपरेशन मुक्ति चलाया है। एक मोबाइल जारी किया गया है जिस पर फोन कर शिकायत की जा सकती है। गुप्त शिकायत पर कार्रवाई की जा रही है और पुलिस मुख्यालय इसे खुद डील कर रहा है।