1500 किलोमीटर दूरी से जयपुर आया था जोड़ा…. लेकिन
दरअसल दार्जलिंग निवासी नीमा तमांग अपनी पत्नी रबिना तमाग के साथ करीब छह साल पहले जयपुर आया था। श्याम नगर क्षेत्र में कमरा किराये पर लेकर रहने लगे इस बीच पति को किसी केस में सजा हो गई। दस साल की जेल की सजा साल 2016 में सुनाई गई। रबिना पर दुखों का पहाड़ टूट पडा। कैसे-तैसे कुछ दिन पति से मिली और अपना जीवन चलाया। लेकिन नया शहर और नए लोग कितना साथ देते…..। धीरे-धीरे भूखों मरने की नौबत आने लगी। आसपास रहने वाले लोग कुछ मदद करते लेकिन वह भी कम पडने लगी। इस बीच जीवन फिर से नए सिरे से शुरु होने की कसर कोरोना और लाॅकडाउन ने पूरी कर दी। आखिर रबिना का सब्र जवाब दे गया और करीब 9 दिन पहले उसने फांसी लगा ली। मकान मालिक ने श्याम नगर पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने शव को एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया। पति को इसकी जानकारी दी गई है लेकिन कानूनी पेचिदगियों के बीच वह सलाखों से बाहर नहीं आ पा रहा है।
जेल अफसरों की मानें तो इस मामले की जानकारी कलेक्टर को भी सौंपी गई है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। अफसरों का कहना है कि चूंकि नीमा तमांग को दस साल की जेल की सजा हो चुकी है तो ऐसे में उसे सिर्फ पैरोल पर छोड़ा जा सकता है नियमों के अनुसार। लेकिन पैरोल कमेटी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पैरोल के दौरान अगर कोई गडबड़ होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन गारंटर लेगा। पैरौल देने के समय अगर बंदी वापस नहीं लौटता तो गारंटी देने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है। नीमा के परिवार वालें भी दूरी बना चुके हैं।
जेल और कानून के बाद अब संभावनाएं प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायधीशों पर है। जेल अफसरों ने बताया कि अगर हाईकोर्ट इस मामले में स्वंय संज्ञान लेता है और नीमा तमांग को पैरोल या शाॅर्ट पैरोल पर रिहा करने के निर्देश देता है तो इस नीमा को छोड़ा जा सकता है। उधर सोड़ाला क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि जमानत मुचलका या अन्य संभावनएं तलाश कर अगर रबिना को मोक्ष मिलता है तो वे लोग इसके लिए तैयार हैं।