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सनसनीखेज…. पति का इंतजार करते करते… लाश हो गई पत्नी, मौत के बाद भी इंतजार कर रही

locationजयपुरPublished: May 17, 2021 11:19:59 am

Submitted by:

JAYANT SHARMA

नीमा तमांग अपनी पत्नी रबिना तमाग के साथ करीब छह साल पहले जयपुर आया था। श्याम नगर क्षेत्र में कमरा किराये पर लेकर रहने लगे इस बीच पति को किसी केस में सजा हो गई।

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जयपुर
कोरोना काल में जीवन और मौत की आपने बहुत सी सच्ची घटनाएं देखीं और पढ़ीं होगी….. लेकिन जयपुर की यह घटना आपका दिमाग घुमा देगी और मानवीयता, कानून एवं अन्य बातों पर सोचने को मजबूर कर देगी…। कहानी है 23 साल की नई नवेली दुल्हन की जो छह साल पहले पति के साथ 1500 किलोमीटर का सफर कर दार्जलिंग से जयपुर आई थी,,, जयपुर आने के बाद उसके पति को जेल हो गई,,,, उससे मिलना तो दूर उसका इंतजार करती रही लेकिन वह नहीं आ सका और उपर से लाॅकडाउन ने उसकी आखिरी उम्मीद भी खत्म कर दी। संभवतः इसी कारण वह जीतिव से लाख में बदल गई और उसने सुसाइड कर लिया…. लेकिन मौत के बाद भी उसे अपने पति का इंतजार है और अब उसका नया पता एसएमएस अस्पताल का मुर्दाघर है…. जहां वह पति क हाथों दुनिया छोड़ने को तैयार है लेकिन पति की रिहाई कानूनी पेचिदगियों में फंसकर रह गई है……….।

1500 किलोमीटर दूरी से जयपुर आया था जोड़ा…. लेकिन
दरअसल दार्जलिंग निवासी नीमा तमांग अपनी पत्नी रबिना तमाग के साथ करीब छह साल पहले जयपुर आया था। श्याम नगर क्षेत्र में कमरा किराये पर लेकर रहने लगे इस बीच पति को किसी केस में सजा हो गई। दस साल की जेल की सजा साल 2016 में सुनाई गई। रबिना पर दुखों का पहाड़ टूट पडा। कैसे-तैसे कुछ दिन पति से मिली और अपना जीवन चलाया। लेकिन नया शहर और नए लोग कितना साथ देते…..। धीरे-धीरे भूखों मरने की नौबत आने लगी। आसपास रहने वाले लोग कुछ मदद करते लेकिन वह भी कम पडने लगी। इस बीच जीवन फिर से नए सिरे से शुरु होने की कसर कोरोना और लाॅकडाउन ने पूरी कर दी। आखिर रबिना का सब्र जवाब दे गया और करीब 9 दिन पहले उसने फांसी लगा ली। मकान मालिक ने श्याम नगर पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने शव को एसएमएस अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया। पति को इसकी जानकारी दी गई है लेकिन कानूनी पेचिदगियों के बीच वह सलाखों से बाहर नहीं आ पा रहा है।
पति की रिहाई में यह बड़ा पेंज फंस रहा…..
जेल अफसरों की मानें तो इस मामले की जानकारी कलेक्टर को भी सौंपी गई है ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके। अफसरों का कहना है कि चूंकि नीमा तमांग को दस साल की जेल की सजा हो चुकी है तो ऐसे में उसे सिर्फ पैरोल पर छोड़ा जा सकता है नियमों के अनुसार। लेकिन पैरोल कमेटी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पैरोल के दौरान अगर कोई गडबड़ होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन गारंटर लेगा। पैरौल देने के समय अगर बंदी वापस नहीं लौटता तो गारंटी देने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है। नीमा के परिवार वालें भी दूरी बना चुके हैं।
स्थानीय लोगों का कहना वे तैयार हैं… लेकिन
जेल और कानून के बाद अब संभावनाएं प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायधीशों पर है। जेल अफसरों ने बताया कि अगर हाईकोर्ट इस मामले में स्वंय संज्ञान लेता है और नीमा तमांग को पैरोल या शाॅर्ट पैरोल पर रिहा करने के निर्देश देता है तो इस नीमा को छोड़ा जा सकता है। उधर सोड़ाला क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि जमानत मुचलका या अन्य संभावनएं तलाश कर अगर रबिना को मोक्ष मिलता है तो वे लोग इसके लिए तैयार हैं।

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