हर रोज करीब 30 लोगों की हादसों में मौत हो रही प्रदेश में
लापरवाहीए नशा तो कभी तेज स्पीड सड़क दुर्घटना का कारण बन जाती है। देश में औसतन 400 लोग हर दिन सड़क हादसे में जान गंवा देते हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा 30 व्यक्ति प्रतिदिन है। सड़क हादसों में जान गंवाने वालों को याद करते हुए 40 से ज्यादा देश हर साल नवंबर के तीसरे रविवार को विश्व स्मरण दिवस मनाते हैं। इस दिन वर्षभर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों को लेकर चर्चा होती है। तमाम चर्चाओं और प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटओं में मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है।
लापरवाहीए नशा तो कभी तेज स्पीड सड़क दुर्घटना का कारण बन जाती है। देश में औसतन 400 लोग हर दिन सड़क हादसे में जान गंवा देते हैं। राजस्थान में यह आंकड़ा 30 व्यक्ति प्रतिदिन है। सड़क हादसों में जान गंवाने वालों को याद करते हुए 40 से ज्यादा देश हर साल नवंबर के तीसरे रविवार को विश्व स्मरण दिवस मनाते हैं। इस दिन वर्षभर सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों को लेकर चर्चा होती है। तमाम चर्चाओं और प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटओं में मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है।
कोरोना से ज्यादा जानें तो हादसों ने छीन लींए जबकि करीब आधे साल बंद था
हालातों की गंभीरता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जितने लोगों की कोरोना काल में मौत नहीं हुईए उससे ज्यादा लोगों की इस दौरान सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। जबकि करीब आधे साल लाॅकडाउन के चलते सत्तर प्रतिशत से ज्यादा लोग घरों म थे। जानकारों का कहना है कि 2019 के संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को सही तरीके से लागू कर सख्ती से उसकी पालना कराई जाए तो ये मामले काबू में आ सकते हैं।
हालातों की गंभीरता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि जितने लोगों की कोरोना काल में मौत नहीं हुईए उससे ज्यादा लोगों की इस दौरान सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। जबकि करीब आधे साल लाॅकडाउन के चलते सत्तर प्रतिशत से ज्यादा लोग घरों म थे। जानकारों का कहना है कि 2019 के संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट को सही तरीके से लागू कर सख्ती से उसकी पालना कराई जाए तो ये मामले काबू में आ सकते हैं।
क्यों मनाया जाता है विश्व स्मरण दिवस
सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस की शुरुआत 1993 में एक विदेशी संस्था ने की थी। यह दिन यूरोपियन फेडरेशन ऑफ रोड ट्रैफिक विक्टिम यानी एफईवीआर और इससे जुड़े संगठनों सहित कई गैर सरकारी संगठनों की ओर से मनाया जाता है। 26 अक्टूबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया और प्रत्येक वर्ष नवंबर में प्रत्येक तीसरे रविवार को सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व दिवस के स्मरण दिवस के रूप में तय किया गया।
सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस की शुरुआत 1993 में एक विदेशी संस्था ने की थी। यह दिन यूरोपियन फेडरेशन ऑफ रोड ट्रैफिक विक्टिम यानी एफईवीआर और इससे जुड़े संगठनों सहित कई गैर सरकारी संगठनों की ओर से मनाया जाता है। 26 अक्टूबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया और प्रत्येक वर्ष नवंबर में प्रत्येक तीसरे रविवार को सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व दिवस के स्मरण दिवस के रूप में तय किया गया।
राजस्थान में सड़क हादसे और मौतें
वर्ष 2020 में 9250 लोगों ने सड़क दुर्घटना में जान गंवाई जबकि इस वर्ष कोरोना काल और लॉक डाउन की वजह से करीब चार महीने तक सड़कों पर वाहन नहीं चले। वहीं वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटना में अक्टूबर तक 8092 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि इस वर्ष भी कोरोना काल और लॉक डाउन की वजह से करीब ढाई महीने तक सड़कों पर वाहन नहीं चले थे। इसके अलावा साल 2015 से 2019 तक सड़क हादसों में करीब 52 हजार लोगों की जान जा चुकी हैं । राजस्थान में 10 हजार से ज्यादा किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग और 15 हजार से ज्यादा किलोमीटर राज्य राजमार्ग सहित हजारों किलोमीटर से अधिक लम्बी सड़कें हैं। इन पर कई ब्लेक स्पाॅट हैं जहां अधिकतर हादसे होते हैं। मवेशी भी हादसों के बड़े जिम्मेदार हैं।
वर्ष 2020 में 9250 लोगों ने सड़क दुर्घटना में जान गंवाई जबकि इस वर्ष कोरोना काल और लॉक डाउन की वजह से करीब चार महीने तक सड़कों पर वाहन नहीं चले। वहीं वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटना में अक्टूबर तक 8092 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि इस वर्ष भी कोरोना काल और लॉक डाउन की वजह से करीब ढाई महीने तक सड़कों पर वाहन नहीं चले थे। इसके अलावा साल 2015 से 2019 तक सड़क हादसों में करीब 52 हजार लोगों की जान जा चुकी हैं । राजस्थान में 10 हजार से ज्यादा किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग और 15 हजार से ज्यादा किलोमीटर राज्य राजमार्ग सहित हजारों किलोमीटर से अधिक लम्बी सड़कें हैं। इन पर कई ब्लेक स्पाॅट हैं जहां अधिकतर हादसे होते हैं। मवेशी भी हादसों के बड़े जिम्मेदार हैं।