ज्ञापन में कहा गया है कि गत कुछ दिनों से राज्य में सत्ताधारी दल के आंतरिक संघर्ष के कारण संपूर्ण राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। लेकिन गत दो दिन में जिस तरह मुख्यमंत्री के स्वयं द्वारा जिस तरह की भाषा व गतिविधियां अपने मंत्रियों वविधायकों को साथ लेकर की गई है, उससे राज्य में कानून व्यवस्था खत्म होने की स्थिति बनी हुई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री स्वयं जनता को राजभवन का घेराव करने और उकसाने वाला बयान दे, कोरोना संकट में भी मौन रहकर राज्य प्रशासन मौन रहकर सरकार के संरक्षण में जारी दिशा निर्देशों की पालना नहीं करा सके। ऐसी स्थिति में प्रदेश का आम आदमी राज्य शासन को संशय की नजर से देख रहा है।
दल ने राज्यपाल से मांग की है कि राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख के नाते समुचित कार्यवाही व न्यायोचित संरक्षण प्रदान करे। प्रतिनिधिमंडल में गुलाबचंद कटरिया, सतीश पूनिया, राजेन्द्र राठौड़, राज्यवर्धन सिंह, रामचरण बोहरा, अरूण चतुर्वेदी, अशोक परनामी, राव राजेन्द्र सिंह, कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी, अशोक लाहोटी, अलका सिंह और भजनलाल शामिल थे।
राज्यपाल पर अनैतिक दबाव बनाकर अपने पक्ष में निर्णय का किया प्रयास मुख्यमंत्री शुक्रवार को अपने गुट के विधायकों के साथ राजभवन आए, राजभवन में नारेबाजी करते हुए अराजकता का वातावरण पैदा किया और राज्यपाल पर अनैतिक दबाव बनाते हुए अपने पक्ष में निर्णय करवाने का प्रयास किया, यह सीधे सीधे राज्य में संवैधानिक संस्थाओं को आतंकित करने का कुत्सित प्रयास है। वहीं, राजभवन में एक साथ बड़ी संख्या में विधायकों का एकत्रित होना वर्तमान अंतरराष्ट्रीय कोरोना के परिप्रेक्ष्य में जारी दिशा निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है।