कथित ऑडियो के आधार पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह के खिलाफ भी एसीबी व एसओजी में मामले दर्ज कर राजद्रोह की धारा लगाई गई थी। हालांकि एफआइआर में गजेन्द्र सिंह लिखा गया था। मंत्री व शेखावत का जिक्र नहीं था, फिर भी मंत्री गजेन्द्र सिंह को भी नोटिस जारी कर बयान दर्ज कराने को लेकर कहा गया था। अब राजद्रोह का मामला वापस लेने के बाद उन्हें भी किसी न किसी रूप में राहत मिली है। भाजपा खेमे में उनका भावी मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में नाम आ रहा है। चर्चा है कि राजनीति में अंदर खाने कुछ गठजोड़ चल रहा है।
कांग्रेस में बगावत और भाजपा के सक्रिय होने के बीच भाजपा-कांग्रेस की ओर से धड़ाधड़ पुलिस, एसओजी, ईडी और आयकर विभाग की ओर से कार्रवाई की गई। जब गजेन्द्र का नाम एफआइआर में आया तो ईडी ने मुख्यमंत्री गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन के खिलाफ कार्रवाई की। अग्रसेन को दो नोटिस जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वे नहीं जा रहे हैं। गजेंद्र से राजद्रोह की धारा हटाए जाने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। संभवत: ईडी से अग्रसेन को भी राहत की उम्मीद है।
सियासी संग्राम के बीच आयकर विभाग मुख्यमंत्री के करीबियों पर भी कार्रवाई कर चुका है। शुरुआती दौर में पूछताछ व अन्य कार्रवाई में तेजी देखी गई, लेकिन कुछ दिनों से मामला ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है। उधर, छापे की कार्रवाई के बाद मुख्यमंत्री के करीबी धर्मेन्द्र राठौड़ एक बार फिर व्यवस्थाएं संभालने में जुट गए हैं। वे जैसलमेर विधायकों के ठहरने को लेकर भी काम संभाल रहे हैं।