पूनिया ने गहलोत सरकार की कार्रवाई पर आज जारी अपनी एक ट्वीट प्रतिक्रिया में लिखा, 'सत्य कभी पराजित नहीं होता।' उन्होंने कहा कि इस मामले के सुर्ख़ियों में आने के बाद से सरकार अपने अफ़सरों की गलती छुपाने और भाजपा बोर्ड पर तथ्यहीन आरोप लगाने में लगी थी। जबकि अब कांग्रेस सरकार अंततः अपने ही अफ़सरों को दोषी मानकर कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा सरकार ने अपनी अनैतिक सोच का अफ़सरों से क्रियान्वयन करवाया है। जनता सब देख समझ रही है कि किसके इशारे पर मंदिर टूटा।
सत्य पराजित नहीं होता। सरकार और अपने अफ़सरों की गलती छुपाने के लिए @BJP4Rajasthan बोर्ड पर आरोप लगाने वाली @INCRajasthan अंततः अफ़सरों को दोषी मान उन पर कार्रवाई कर रही है। अपनी अनैतिक सोच का अफ़सरों से क्रियान्वयन कराने वालों जनता सब देख समझ रही है कि किसके इशारे पर मंदिर टूटा।
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) April 26, 2022
गौरतलब है कि राजगढ़ में मंदिर तोड़े जाने के मामले में नगर पालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी पर गाज गिरी है। सरकार ने दोनों को निलंबित कर दिया है। इनमें नगर पालिका अध्यक्ष सतीश दुहारिया और अधिशासी अधिकारी बनवारी लाल मीणा शामिल है। स्वायत शासन विभाग ने सोमवार देर रात आदेश जारी किए। हालांकि पालिका अध्यक्ष भाजपा बोर्ड के हैं। कांग्रेस लगातार भाजपा बोर्ड को इस मामले का दोषी होने का आरोप लगा रही है।
न्यायिक जांच भी कराएगी सरकार
नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ उपनिदेशक से प्राथमिक जांच कराई गई थी। जांच में अध्यक्ष सतीश दुहारिया से लिखित कथन लिए गए। जांच रिपोर्ट और उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर सरकार ने सतीश दुहारिया द्वारा विधि विरुद्ध आचरण करना माना।साथ ही निर्माण कार्य हटाने से आमजन को होने वाली क्षति के परिणाम के प्रति दुहारिया की उदासीनता और लापरवाही भी मानी गई है। सरकार ने दुहारिया के खिलाफ न्यायिक जांच भी कराने का फैसला किया है।
इसलिए किया निलंबित
निर्माण कार्य हटाने के प्रकरण में सरकार ने क्षेत्रीय उपनिदेशक से मामले की जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट के अनुसार ईओ ने संपूर्ण रिकॉर्ड का अध्ययन और परीक्षण नहीं किया। निर्माण कार्य हटाने से आमजन को होने वाले नुकसान के परिणामों के प्रति उदासीनता और लापरवाही बरती। रिपोर्ट में बनवारी लाल मीणा को प्रशासनिक लापरवाही और विधि विरुद्ध आचरण का दोषी पाया गया है।निलंबन काल में उनका मुख्यालय उपनिदेशक जयपुर में रहेगा।