राठौड़ ने रविवार को यहां एक बयान जारी कर कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को यह संदेश दे रहे हैं कि विधायकों एवं आमजन के अनुसार कई बार आलाकमान को नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ता है, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष एवं खुद की पार्टी के 20 से ज्यादा विधायकों की सलाह को पूरी तरह दरकिनार करके मंत्रिमंडल का पुनर्गठन एवं राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं करने पर अड़े हैं।
राठौड़ ने कहा कि राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार और कुछ राजनीतिक नियुक्तियां लंबे समय से अटके रहना इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि कांग्रेस पार्टी में अंतर्कलह इस कदर बढ़ गई है कि कांग्रेस रूपी जहाज कभी भी डूब सकता है।
पंजाब में हुए सियासी घटनाक्रम ने राजस्थान के मुख्यमंत्री की ‘स्वयंभू’ व एकछत्र राज की धारणा को तोड़ दिया है और उनमें यह भय व्याप्त हो गया है कि कहीं पंजाब का घटनाक्रम राजस्थान में ना हो जाए। इसलिए अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो लगातार हाईकमान को चुनौती दे रहे थे और नजरअंदाज करने में लगे हुए थे, वही अब कांग्रेस हाईकमान को सर्वोच्च मानकर उनके निर्देशों की पालना करने की सीख अमरिंदर सिंह को दे रहे हैं।
राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के भीतर लावा लगातार उबल रहा है। पंजाब में तो कांग्रेस के भीतर का लावा ज्वालामुखी का रूप ले चुका है, अब बारी राजस्थान की है।
राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अंतर्कलह से जूझती कांग्रेस पार्टी के नुकसान की चिंता छोड़कर विगत 33 महीने से कांग्रेस सरकार में जारी अन्तर्द्वन्द के कारण राजस्थान की जनता को हो रहे नुकसान की चिंता करनी चाहिए।