विधायकों को होटल में शिफ्ट किये जाने के लिए बाकायदा लग्ज़री बसों की व्यवस्था की गई। कई विधायक इन बसों में तो कुछ अपने-अपने वाहनों में सीएमआर से होटल के लिए रवाना हुए। वहीं संकटमोचक के तौर पर एआईसीसी से आये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन, केसी वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी होटल के लिए रवाना होने वालों में शामिल रहे।
राज्यसभा चुनाव संपन्न होने के बाद ये एक माह में दूसरी बार है जब कांग्रेस विधायकों की इस तरह से एक होटल में बादाबंदी हो रही है। वहीँ राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में भी ये पहली बार ही है जब जब एक माह में दूसरी बार विधायक बाड़ाबंदी में गये हैं।
इससे पहले विधायक दल की बैठक में सरकार का समर्थन करने वाले 100 से भी ज़्यादा विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेत्रत्व का समर्थन करते हुए प्रस्ताव पारित किया। इस बीच कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट से सुलह की कोशिशें भी शुरु हो गई हैं। जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभालते हुए पायलट और गहलोत से बात की है। बताया जा रहा है कि पायलट ने चार शर्तें रखी हैं जिनमें कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष का पद बरकरार रखने के अलावा गृह और वित्त विभाग की मांग की है। पायलट फिलहाल दिल्ली में ही हैं। उन्होंने 25 विधायकों के साथ होने का दावा किया है।
मुख्यमंत्री गहलोत के पास स्पष्ट बहुमत होने के बाद भी सियासी घटनाक्रम और चल सकते हैं। लिहाजा विधायकों को होटल में ठहराया गया है। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अब तक सरकार गिराने के प्रयासों का कोई संकेत नहीं मिला है, लेकिन आज आयकर विभाग के गहलोत के दो नजदीकी नेताओं के यहां छापेमारी से यह कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा भी कहीं न कहीं इस घटनाक्रम में जुड़ी हुई है।
पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफेस में यह आरोप लगाया भी कि आयकर विभाग प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई भाजपा के अग्रिम संगठन हैं तथा आयकर विभाग की कार्रवाई सामने आ चुकी है। उन्होंने पायलट सहित सभी कांग्रेस विधायकों से अपील की कि बातचीत के लिये उनके दरवाजे खुले हैं। उसके बाद से ही यह लग रहा था कि पायलट से सुलह की कोशिशें चल रही हैं।