चित्तौड़गढ़ से सांसद बने सी पी जोशी को पार्टी ने करीब सवा साल पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल भाजपा के संविधान के अनुसार तीन साल का होता है। ऐसे में जोशी का कार्यकाल अभी खत्म भी नहीं हुआ है। उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जीत दर्ज की थी।
लोकसभा चुनाव में हालांकि, पार्टी अपना प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी, लेकिन सी पी जोशी खुद चुनाव जीत गए। उसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे थे कि जोशी की जगह पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलेगा, लेकिन पिछले दिनों दिल्ली में जोशी की केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित अन्य नेताओं से मुलाकात हुई थी। सूत्रों के अनुसार इन नेताओं ने जोशी को प्रदेश अध्यक्ष पद पर काम करते रहने को कहा है।
संगठन और सत्ता के लिहाज से यह साल महत्वपूर्ण
प्रदेश में सत्ता और संगठन के लिहाज से यह साल काफी महत्वपूर्ण है। जुलाई में विधानसभा चलेगी और उसके बाद अक्टूबर-नवम्बर में सरकार व संगठन की पहली अग्नि परीक्षा होगी। पांच विस सीटों पर अक्टूबर या नवम्बर में उपचुनाव होने हैं। ऐसे में नए चेहरों की जगह पार्टी पुराने चेहरों के भरोसे ही चुनाव करवाएगी, क्योंकि सत्ता में बैठे सभी चेहरे नए हैं।