जयपुर। बिजली संकट (Rajasthan power crisis ) से अब राहत मिलती नजर आ रही है। तापीय इकाइयों में 2015 मेगावाट बिजली का उत्पादन (Power Generation) फिर से शुरू हो गया है। वहीं इस माह में अब तक कोयले की 415 रैक डिस्पेच हुई है।
ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने विभाग से जुड़ी सभी कंपनियों के सीएमडी व एमडी से वर्चुअल बैठक कर विद्युत मांग, उपलब्धता व आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने आगामी तीन माह की विद्युत मांग, उपलब्धता का आंकलन करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि बिजली कमी के चलते शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कहीं भी बिजली की कटौती नहीं करनी पड़ रही है। प्रदेश में बिजली की आपूर्ति सामान्य स्तर पर आ गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि अक्टूबर माह में अब तक प्रदेश में कोयले की 415 रैक डिस्पेच हुई है। जबकि सितंबर के पूरे माह में राज्य में कोयले की 402 रैक ही मिली थी। अक्टूबर माह में 26 अक्टूबर तक कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियोें एनसीएल और एसईसीएल से जहां 162 रैक कोयला की डिस्पेच होकर प्राप्त हुई है, वहीं सरकार की पीकेसीएल से कोयले की 253 रैक डिस्पेच हुई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की पीकेसीएल से गत माह की तुलना में कोयले की 23 रैक अधिक डिस्पेच होने से प्रदेश में बिजली की उत्पादकता और उपलब्धता में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने बताया कि राज्य मेें बंद तापीय विद्युत इकाइयों में भी बिजली का उत्पादन शुरू किया जा रहा है और इस माह 6 इकाइयों में करीब 2015 मेगावाट विद्युत उत्पादन शुरु किया गया है। सूरतगढ मेें 250-250 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता की दो इकाइयों में उत्पादन शुरु हो गया हैं वहीे इससे पहले कालीसिंध तापीय में 600 मेगावाट, कोटा तापीय विद्युत गृह में 195 और सूरतगढ़ तापीय विद्युत गृह में यूनिट 6 में 660 मेगावाट का उत्पादन आरंभ हो गया है।