कुल 4 में से 2 सीटों पर कांग्रेस को स्पष्ट जीत वर्तमान विधायकों की स्थिति को देखते हुए इन 4 में से 2 सीटों पर कांग्रेस को स्पष्ट जीत मिलती नजर आ रही है, जबकि भाजपा की एक सीट पक्की मानी जा रही है। चौथी सीट के लिए दोनों ही दलों के पास विधायक की पर्याप्त संख्या नहीं है। ऐसे में इस सीट पर मुकाबला रोचक होगा, हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि निर्दलीय एवं अन्य दलों के समर्थन से वह तीसरी सीट भी जीतने में कामयाब रहेगी, वहीं भाजपा इस कोशिश में लगी है कि निर्दलीय विधायकों को तोड़कर चौथी सीट पर मुकाबला रोचक कर दिया जाए।
ओम प्रकाश माथुर, के जे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर होंगे बाहर राजस्थान से राज्यसभा के दस सांसद हैं। इन दस में से सात पर वर्तमान में भाजपा के सांसद हैं, वहीं तीन सीटें कांग्रेस के पास है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी राजस्थान से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हैं। भाजपा के सात सांसदों में से चार सांसद ओम प्रकाश माथुर, के जे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है। बाकी तीन भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, भूपेन्द्र यादव और राजेन्द्र गहलोत हैं। चार सीटों पर चुनाव के बाद राजस्थान से राज्यसभा सांसदों का समीकरण बदल जाएगा। कांग्रेस की राज्यसभा सीटें बढ़कर पांच होना तो तय है। यदि चार में से तीन सीटें कांग्रेस जीत जाती हैं, तो दस में से छह सीटें कांग्रेस के खाते में होंगी। भाजपा की कोशिश रहेगी कि कांग्रेस को पांच सीटों पर ही रोक लिया जाए, जिससे दोनों दल के बराबर-बराबर सांसद हो जाएं।
एक सीट पर जीत के लिए 41 विधायकों के वोट की जरूरत, निर्दलीय करेंगे चौथी सीट का फैसला राज्यसभा सांसद के लिए चुनाव में विधायक वोट करते हैं। यदि चार सीटों पर चुनाव है, तो विधायकों की संख्या के अनुसार जीत के लिए प्रत्याशी को 41 विधायकों के वोटों की जरूरत होगी। चार में से एक सीट भाजपा और दो सीट कांग्रेस के खाते में जाना तय है। चौथी सीट के लिए भाजपा के पास 30 और कांग्रेस के पास 26 विधायकों के वोट हैं। चौथी सीट पर निर्दलीयों एवं अन्य दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।