अगर निगम एक बार फिर से विभाग में परिवर्तित हो जाता है तो फिर राजस्थान रोडवेज के घाटे और मुनाफे की समस्या ही खत्म हो जाएगी। सभी को समय पर वेतन और पेंशन मिलेगी। किसी भी आर्थिक समस्या से रोडवेज को नहीं जूझना होगा। इसके साथ ही सारी सपंत्तियों पर राजस्थान सरकार का हक होगा। जिसे वह किसी भी रूप में उपयोग कर सकती है। गौरतलब है कि इस समय रोडवेज के पास हर शहर में बेशकीमती संपत्ति है।
खाचरियावास ने राजस्थान रोडवेज की 9000 करोड़ की परिसंपत्तियों का भी जिक्र किया है। इसके साथ ही सेवानिवृत्त 5000 कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं मिलने का भी लिखा है तथा यह भी अवगत कराया कि राजस्थान रोडवेज में 15000 कर्मचारी कार्यरत है और वित्तीय स्थिति विषय बनी हुई और वेतन भी दो माह विलम्ब से दिया जा रहा है।
परिवहन मंत्री ने पत्र में यह भी लिखा है कि राजस्थान रोडवेज राजकीय उपक्रम होने के कारण जनहित में जहां कम आय है वहां भी बसों का संचालन करता है। इससे हर महीने ही आय-व्यय में लगभग 100 करोड रुपए का अंतर रहता है। अभी 875 नई बेड़े में शामिल की गई हैं यदि 2000 और नई बसें क्रय कर बेड़े में शामिल कर दी जावे तो ग्रामीण बस सेवा की आवश्यकता नहीं होगी। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को राजकीय विभाग बनाने के लिए परिवहन मंत्री के पत्र लेखन पर RSRTC OFFICER’S ASSASSINATION ने धन्यवाद दिया है।