जबकि हालात यह है कि घाटे से जूझ रहे राजस्थान रोडवेज ( rsrtc ) में सभी डिपो तक में मुख्य प्रबंधक नहीं लगे हैं। ऐसे में कई डिपो अतिरिक्त कार्यभार के हवाले चलाए जा रहे हैं। तीन डिपो तो एक ही अधिकारी के पास हैं। ऐसे में रोडवेज अपने यात्रीभार में सुधार कर बढ़ोत्तरी ही नहीं कर पा रहा है।
वित्तीय सलाहकार की ओर से किए गए तबादलों को एमडी ने निरस्त ही नहीं किए, इनमें से कुछ का दूसरे स्थानों पर तबादला ( Rajasthan Roadways Transfer List ) भी कर दिया। ऐसे में लेखाशाखा के र्कािर्मकों में अब इसको लेकर ज्यादा भय दिख रहा है कि आखिर वे किस अधिकारी को अपनी फरियाद करें।
एक माह में ही दो-दो बदली
कुछ दिनों पहले एक अधिकारी के पास केन्द्रीय बस स्टैण्ड सिंधी कैम्प के साथ डीलक्स डिपो का अतिरिक्त कार्यभार था। लेकिन पहले केन्द्रीय बस स्टैण्ड से रवानगी दी। कुछ दिनों बाद डीलक्स डिपो से भी हटा दिया गया। अब उन्हें विद्याधर नगर डिपो की कमान सौंप दी गई है। इसी तरह जो अधिकारी जीएम बस बॉडी थे, वे अब वहां से रवाना होकर विद्याधर नगर डिपो होते हुए वापस रोडवेज मुख्यालय में महाप्रबंधक टायर के पद पर पहुंच गए हैं। इसी तरह जो महाप्रबंधक टायर थे, वे अब महाप्रबंधक गुणवत्ता काम देखेंगे। लेकिन वे इलेक्ट्रिक शाखा से हैं। ऐसे में मैकेनिकल की गुणवत्ता कैसे परखेंगे? इधर, भरतपुर, धौलपुर और लोहागढ़ डिपो ऐसे हैं, जिनकी मुख्य प्रबंधन की जिम्मेदारी एक ही अधिकारी के पास है। इनके अलावा अतिरिक्त कार्यभार के भरोसे डीलक्स डिपो जयपुर, बारां और उदयपुर डिपो भी चल रहे हैं।