इस साल इस राशि में से एसएमएस अस्पताल को 1.25 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मरीजों का भारी दबाव झेल रहे इतने बड़े अस्पताल के लिए यह राशि ऊंट के मुंह में जीरा बराबर ही है। अस्पताल भवन को हर साल बड़े स्तर पर रखरखाव की जरूरत होती है लेकिन यह राशि आते ही खत्म हो जाती है। ऐसे में ज्यादातर काम अटके रह जाते हैं और हालत लगातार बिगड़ती जाती है। हादसे, आगजनी जैसी आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल प्रशासन के पास कोई राशि नहीं है।
महीनेभर पहले एक ऑपरेशन थिएटर में लगी आग के बाद हालात खराब हैं। ओटी की मरम्मत और सुधार के लिए अस्पताल प्रशासन के पास पैसे नहीं हैं। इससे ऑपरेशन की वेटिंग बढ़ रही है, जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। धन के लिए अस्पताल तो मेडिकल कॉलेज से उम्मीद लगाए बैठा है और कॉलेज प्रशासन सरकार की तरफ देख रहा है। इस बीच मरीजों और उनके परिजनों का आक्रोश डॉक्टरों को झेलना पड़ रहा है। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. यूएस अग्रवाल से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हर साल 4 करोड़ रुपए ही मिलते हैं। इसमें से 1.25 करोड़ रुपए एसमएस अस्पताल को दे चुके हैं। बाकी 9 को भी बजट देना होता है। जानकारी में आया है कि एसएमएस को दिया गया बजट खत्म हो चुका है। हमने वित्त और चिकित्सा शिक्षा विभाग से और बजट मांगा है। प्रयास कर रहे हैं कि बजट जल्द मिले।