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School Fees: सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से परिजन नाखुश, स्कूलों ने किया स्वागत

locationजयपुरPublished: Feb 08, 2021 09:52:29 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

सत्र 2020-21 की स्कूलों की फीस के संबंध सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद परिजनों में मायूसी छा गई। वहीं निजी स्कूलों ने इस आदेश का स्वागत किया है।

Rajasthan school fees supreme court decision on school and parents

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जयपुर। सत्र 2020-21 की स्कूलों की फीस के संबंध सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद परिजनों में मायूसी छा गई। वहीं निजी स्कूलों ने इस आदेश का स्वागत किया है। अंतरिम आदेश के बाद परिजनों को पूरी स्कूल फीस चुकानी होगी। दरअसल, वर्तमान शिक्षण सत्र की फीस के मामले पर कुछ समय हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए शिक्षा विभाग के निर्देश को लागू किया था। जिसके तहत जितना कोर्स, उतनी फीस लेने का नियम बनाया गया था। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के स्कूल 60 फीसदी व सीबीएसइ बोर्ड के स्कूल 70 फीसदी स्कूल फीस ले सकते थे। इस आदेश के विरोध में निजी स्कूल व परिजन सुप्रीम कोर्ट गए थे।
करीब 35 हजार निजी स्कूलों को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रदेश के 35 हजार से अधिक निजी स्कूलों को राहत मिली है। सत्र 2020-21। छह किस्तों में पांच अगस्त तक दे सकते हैं। अंतरिम आदेश के बाद निजी स्कूल साल 2020-21 में पूरी फीस ले सकेंगे। लेकिन, यह फीस साल 2019-20 की फीस के बराबर ही होगी। फीस बढ़ाई नहीं जा सकेगी। सौ फीसदी फीस छह किस्तों में 10 अगस्त तक चुकाई जा सकेगी।
– उच्चतम न्यायालय ने स्कूलों को फीस लेने का अधिकार मानते हुए राज्य सरकार के आदेश को अनाधिकृत हस्तक्षेप मानते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया है। जिससे निजी स्कूलों को राहत मिलेगी।
– दामोदर गोयल, बोर्ड मेंबर, एसएमएस स्कूल
– आज स्कूलों के लिए बड़ा दिन है। पहला स्कूल खुल गए। दूसरा स्कूल सौ फीसदी फीस ले सकेंगे। तीसरा सरकार को स्कूलों को आरटीई का भुगतान एक महीने के अंदर करना होगा। कोर्ट के दोनों आदेश के बाद निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकेगा।
– अनिल शर्मा, स्कूल शिक्षा परिवार
परिजनों का यह कहना –
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से प्रदेश के दो करोड़ से अधिक अभिभावकों में भारी रोष है। केवल एक मत के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दे दिए। संयुक्त अभिभावक संघ प्रत्येक अभिभावक के लिए वचनबद्ध और प्रतिबद्ध है, जो भी कानूनी प्रक्रिया शेष है उन सभी का उपयोग किया जाएगा, अगर कोर्ट में पीआईएल भी लगानी पड़ी तो वह भी लगाई जाएगी। अभिभावकों को ऐसे आदेश की आशा ही नहीं थी। उच्च न्यायालय ने केवल स्कूलों के साथ न्याय कर प्रदेश के दो करोड़ अभिभावकों के साथ अन्याय किया है।
– अभिषेक जैन बिट्टू, प्रदेश प्रवक्ता, संयुक्त अभिभावक संघ
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