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राजस्थान सचिवालय में मंत्री ने केबिन में बुलाकर आईएएस अफसर के मारा थप्पड़, कोर्ट ने किया तलब

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2019 09:52:44 pm

ऐसा थप्पड़, जिसकी गूंज पूरे देश गूंजी : 6 दिसंबर 1997 को जयपुर के अशोक नगर थाने में दर्ज हुआ था मामला, अब हुआ एसीजेएमएम कोर्ट में चालान पेश, तत्कालीन मंत्री देवीसिंह भाटी 21 अक्टूबर को तलब, आइएएस अफसर पीके देब से मारपीट करने का है आरोप

राजस्थान सचिवालय में मंत्री ने केबिन में बुलाकर आईएएस अफसर के मारा थप्पड़, कोर्ट ने किया तलब

राजस्थान सचिवालय में मंत्री ने केबिन में बुलाकर आईएएस अफसर के मारा थप्पड़, कोर्ट ने किया तलब

कमलेश अग्रवाल / जयपुर। कमरे में बुलाकर अफसर को थप्पड़ मारना, ऐसा दृश्य आपको दक्षिण की मसाला फिल्मों में देखने को मिल जाता है लेकिन राजस्थान ( Rajasthan ) के सचिवालय ( Secretariat ) में करीबन 22 साल पहले ऐसा ही हुआ। जब तत्कालीन सिंचाई मंत्री ने आइएएस अफसर ( IAS officer ) को बुलाकर ठेका कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने पर मारपीट की। मंत्री थे तत्कालीन सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ( Devi Singh Bhati ) और सचिव थे आइएएस अफसर पीके देब। जिस पर अशोक नगर थाने में 6 दिसंबर 1997 में मामला दर्ज हुआ। इसके बाद जांच सीआइडी सीबी ( CID ) को सौंपी गई। अब मामले में जांच पूरी होने के बाद तत्कालीन मंत्री देवीसिंह भाटी के खिलाफ एसीजे एमएम 11 अनिता मीणा की कोर्ट में चालान पेश किया गया है। मामले में कोर्ट ने संज्ञान लेकर भाटी को 21 अक्टूबर को तलब किया है।
क्या है पूरा मामला

करीबन 22 साल पहले सचिव रहते हुए आइएएस अधिकारी पीके देब ने भारती कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया था। जिसको लेकर तत्कालीन सिचाई मंत्री देवी सिंह भाटी से देब का विवाद हो गया था और भाटी पर आरोप है कि उन्होनें चैंबर में बुलाकर देब से मारपीट की। ऐसा भी कहा जाता है कि देब के भाटी ने थप्पड़ मार दिया।
जांच घूमती रही
मामले की जांच सीआई महेंद्र यादव, आइपीएस कल्याणमल शर्मा, दिनेश चंद शर्मा, पीडी शर्मा, सुरेंद्र दीक्षित व मिलन कुमार जोया ने की। यानि मामले की जांच एक के बाद एक अधिकारी को सौंपी जाती रही अब 22 साल बाद पुलिस ने माना कि आइएएस अफसर के साथ चैंबर में मारपीट हुई थी।
सीआइडी सीबी यानी मामला ठंडे बस्ते में

नियमानुसार किसी भी विधायक, सांसद या मंत्री के खिलाफ जब आपराधिक मामला दर्ज होता है, निष्पक्ष और जल्द जांच के लिए सीआइडी सीबी में भेज दिया जाता है। यह मामला भी सीआईडी सीबी में जाकर ठंडे बस्ते में चला गया। इसमें चालान तैयार करने में 22 साल लग गए। इसी तरह प्रहलाद गुंजल ( Prahlad Gunjal ), किरोड़ीलाल मीणा ( Kirodilal Meena ) सहित कई विधायक और पूर्व मंत्रियों के खिलाफ मामले सीआइडी सीबी में जांच के लिए पड़े हुए हैं।
लोकायुक्त व मानवाधिकार आयोग ने लिया था संज्ञान

सीआइडी सीबी में जांच के नाम पर मामले लटकाए रखने पर लोकायुक्त भी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं तो मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था। जिसमें सालों साल मामले लटकाए रखने को मानवाधिकार का हनन माना था।

कुछ नहीं केवल सामान्य बातचीत हुई थी: भाटी

तत्कालीन मंत्री से पत्रिका की बातचीत

सवाल: आपके खिलाफ चालान पेश हुआ है क्या कहना चाहेगें

जवाब: ऐसा मामला हुआ ही नहीं। मेरे खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र है। ऐसी धाराओं में चालान पेश कर दिया, जो विधिसम्मत नहीं है।
सवाल: क्या हुआ था मामला

जवाब: कुछ नहीं, केवल सामान्य बातचीत हुई थी और मंत्रालय में इतनी भीड़ रहती है, जहां छोटी से बात पर मेला लग जाता है। ऐसी कोई बात नहीं हुई।
सवाल: आपका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ

जवाब: पूरी तरह से एक षड्यंत्र है, ऐसा मामला कुछ नहीं है, पूरी तरह से गलत बात है। इस वजह से मुझे मंत्री पद तक भी छोडऩा पड़ा था।

मैं तो इस मामले को भूल ही गया: देब

21 साल बाद इस मामले का क्या मतलब है मैं इस मामले को भूल ही गया। अब देवी सिंह जी से मेरा कोई बैर भी नहीं है। मै यह केस नहीं चलाना चाहता, यह केस बहुत पहले ही बंद हो जाता तो ठीक रहता। अब देवी सिंह जी 90 साल के करीब के होंगे। उनको जेल हो भी गई तो कितना समय रहेंगे।
-पीके देब, तत्कालीन सचिव

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