ज्योतिषाचार्य पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि बास्योड़ा लोकपर्व है, यह लोकमान्यता के अनुसार ही मनाया जाता है। ढूंढाड़ में यह लोकपर्व ठंडे वार को मनाया जाता है। जिस साल अष्टमी तिथि को उग्र वार पड़ता है, तब यह पर्व सप्तमी तिथि को मनाया जाता है।
वहीं जिस साल होली के आठ दिन बाद रविवार आता है, उस साल यह लोकपर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, यह स्थिति 12-13 साल में एक बार बनती है। इस बार अष्टमी तिथि को रविवार उग्र वार आ रहा है, ऐसे में बास्योड़ा पंचमीयुक्त षष्ठी तिथि पर 2 अप्रेल को मनाया जाएगा। जबकि मारवाड़ में यह परम्परा नहीं है, वहां लोकमान्यता होली के बाद अष्टमी तिथि को ही बास्योड़ा मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ रवि शर्मा ने बताया कि इस वर्ष शीतलाष्टमी (बास्योड़ा) का पर्व षष्ठी तिथि के संयोग में मनाया जाएगा। अष्टमी के दिन रविवार है, जो की उग्रवार के श्रेणी में आता है और जयपुर की परंपरा के अनुसार यह पर्व ठंडे वार को ही मनाया जाता है। ऐसे में इस वर्ष रांधा पुआ चैत्र शुक्ल चतुर्थी पर गुरुवार को मनाया जाएगा, इस दिन सभी के घर में भोजन बनता है जिसका भोग अगले दिन शीतला माता को लगता है और उसी दिन शीतलाष्टमी मनाई जाती है। शीतलाष्टमी चैत्र शुक्ल पंचमीयुक्त षष्ठी पर 2 अप्रैल को मनाई जाएगी।