बसपा प्रदेशाध्यक्ष भगवानसिंह बाबा ने फिर से दोहराया है कि बसपा विधायकों का दल-बदल करके कांग्रेस पार्टी में शामिल होना पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पार्टी के 6 विधायकों को सत्ता का लालच दिखाकर कांग्रेस में शामिल करने के आरोप लगाए हैं।
विधायकों के दल-बदल मामले में बसपा को पहले हाईकोर्ट और फिर विधानसभा अध्यक्ष से नाउम्मीदी का सामना करना पड़ा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से भी अब राहत मिलने की संभावना कम ही लग रही है। हालांकि बसपा को उम्मीद है कि वो शीर्ष अदालत में अपना पक्ष मजबूती के साथ रखेगी और फैसला उसके पक्ष में आएगा।
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों का कहना है कि बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कानूनी दृष्टि से जायज है। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक वाजिब अली ने कहा कि हम सभी 6 विधायक अब कांग्रेस के विधायक हैं और हम किसी भी न्याय प्रक्रिया का सामना करने को तैयार हैं।
– 2018 विधानसभा चुनाव में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुढ ने बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। सभी विधायक सितम्बर 2019 में बसपा छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गये थे।
– विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने बसपा विधायक दल के कांग्रेस में विलय को दी थी मंजूरी
– बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र और भाजपा विधायक मदन दिलावर ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर हाईकोर्ट में दी चुनौती
– हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को 3 महीने के भीतर सुनवाई कर फैसला देने को कहा
– विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी से भी बसपा को नहीं मिली राहत