scriptप्रदेश में इन सीटों पर दशकों से एक ही परिवार जीतता रहा है चुनाव, कोई नहीं हिला पाया इनकी ‘सियासत’ | Rajasthan These Seats Winning the same family for decades in Election | Patrika News

प्रदेश में इन सीटों पर दशकों से एक ही परिवार जीतता रहा है चुनाव, कोई नहीं हिला पाया इनकी ‘सियासत’

locationजयपुरPublished: Oct 05, 2018 04:53:31 am

Submitted by:

rohit sharma

www.patrika.com/rajasthan-news/

जयपुर।

प्रदेश में ही कुछ ऐसी सीटें भी हैं जहां सियासत परिवारों के बीच ही सिमट कर रह गई है। पिता के बाद पुत्र या फिर पुत्री। पार्टी चाहे कोई भी हो। लेकिन हार-जीत इन्हीं परिवारों में सिमटी रहती है। कुछ विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व बारी-बारी से इन परिवारों के पास ही रहा। इन क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की पीढ़ी दर पीढ़ी ‘कार्यकर्ता’ ही बनकर रह गई है। क्योंकि आमने-सामने तो परिवार विशेष के नेताओं को ही रहना है।
दशकों से इन सीटों पर एक ही परिवार चुनाव जीतता रहा है

श्रीमाधोपुर (सीकर): हरलाल सिंह खर्रा 1977, 1985, 1990 व 2003 में जीते। 2013 में उनके पुत्र झाबर सिंह खर्रा जीते। दीपेंद्र सिंह शेखावत 1980, 93, 98 व 2008 जीते। 1977 से खर्रा परिवार और दीपेंद्र सिंह का कब्जा रहा है।
लूणकरणसर (बीकानेर) : भीमसैन चौधरी 1957,1962,1967,1972 ,1993 व 1998 में जीते। 2003 व 2008 में उनके पुत्र वीरेन्द्र बेनीवाल जीते। यहां से मानिकचंद सुराणा यहां से 1977, 1985 ,2000 व 2013 में जीते। इस सीट से 1980 में मालूराम लेघा व 1990 में मालीराम सिहाग ही जीत पाए।
खेतड़ी (झुंझुनूं) : मालाराम 1977,1980 व 1985 में जीते। 2003 में उनके पुत्र दाता राम जीते। डॉ. जितेन्द्र सिंह यहां से 1993, 1998 व 2008 में जीते। इस सीट से 1990 में हजारी लाल व 2013 में पूरणमल सैनी ही जीते।
डेगाना (नागौर): रामरघुनाथ चौधरी 1972, 1977 व 1980 में जीते। उनके पुत्र अजय सिंह किलक 2008 व 2013 में जीते। रिछपाल सिंह मिर्धा 1990, 1993, 1998 व 2003 में जीते। इस सीट पर 1972 के बाद इनके अलावा सिर्फ 1985 में कल्याण सिंह ही जीत पाए।
नावां (नागौर) : रामेश्वर लाल 1972, 77, 80 व 93 में जीते। 2013 में पुत्र विजय चौधरी जीते। हरीश कुमावत 1985, 90, 98 व 03 में जीते। 2008 में महेंद्र चौधरी ही जीते।

चौरासी (डूंगरपुर) : जीवराम 1990 में जीते, उनके पुत्र सुशील कटारा 2003 व 2013 में जीते। शंकरलाल 1985, 93, 98 व 2008 में जीते।
सागवाड़ा (डूंगरपुर) : भीखाभाई 1957, 62, 67, 72, 93 व 98 में जीते। पुत्री कमला 1980, 85 व 90 में जीती। पुत्र सुरेंद्र 2008 में जीते। कनकमल 2002 व 03 में जीते, 2013 में पुत्रवधु अनिता कटारा जीतीं। परिवारों के अलावा 1977 में लाल शंकर ही जीत पाए।
हनुमानगढ़ (हनुमानगढ़) : आत्माराम में 1980 जीते फिर उनके पुत्र विनोद कुमार 1990, 2003 व 2008 में जीते। डॉ. रामप्रताप यहां से 1993, 1998 व 2013 में जीते। इस सीट पर इनके अलावा 1985 में श्योपत सिंह मक्कासर ही जीत पाए।
खंडेला (सीकर) : गोपाल सिंह 1972, 1977 व 1990 में जीते। उनके पुत्र बंशीधर बाजिया 2008 व 2013 में जीते। इसी सीट पर महादेव सिंह खंडेला 1980, 1985, 1993, 1998 व 2003। इस सीट पर 1972 से बाजिया परिवार और महादेव का ही कब्जा रहा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो