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Patrika Investigation: परिवहन ‘महाघूसकांड’ के ‘हो-हल्ले’ के बीच अब सामने आया ये ‘खेल’

locationजयपुरPublished: Feb 19, 2020 01:12:31 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

Rajasthan Transport Department Scam, Patrika Investigation: निजी बस ऑपरेटर और परिवहन विभाग के अफसरों के बीच चल रहे लेन-देन के खेल की परतें कहीं ज्यादा गहरी हैं। एसीबी की कार्रवाई में जो उजागर हुआ है, वह छोटा सा हिस्सा ही है।

Rajasthan Transport Department Scam, Patrika Investigation
जयपुर।

निजी बस ऑपरेटर और परिवहन विभाग के अफसरों के बीच चल रहे लेन-देन के खेल की परतें कहीं ज्यादा गहरी हैं। एसीबी की कार्रवाई में जो उजागर हुआ है, वह छोटा सा हिस्सा ही है। इन परतों को उधेड़ने के लिए ‘पत्रिका’ ने प्रदेश के हर जिले का स्कैन कराया तो तस्वीर कुछ ऐसी बनी जिसमें सामने आया कि राजनीतिक रसूख तो सबसे अहम किरदार है ही, सरकारी परिवहन सेवा को बर्बाद करने के लिए दूसरे हथकंडे भी खुलेआम अपनाए जा रहे हैं।

जयपुर सहित कोटा, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, पाली, अजमेर, राजसमंद, जोधपुर और हनुमानगढ़ में नेता और अफसरों की शह पर निजी बसें दौड़ रही हैं। बिना नियम-कायदे चल रहीं इन बसों को परिवहन विभाग ने हरी झंडी दे रखी है। बसों को कोई रोके नहीं, इसके लिए स्टीकर और अन्य तरह से बसों को सजाया जा रहा है।

पंजाब कनेक्शन ही क्यों?
रोडवेज में अनुबंधित बसें पंजाब से संबंधित एक फर्म की संचालित हो रही हैं। बड़ी बात यह है कि कई निजी बस ऑपरेटर भी सीधे पंजाब से ही जुड़े हुए हैं। इनका कोई भी सीधा कनेक्शन राजस्थान से नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि पंजाब से 1000 किलोमीटर दूर आकर आदिवासी बहुल जिलों में ये बसें किसकी शह पर संचालित हो रही हैं? ‘पत्रिका’ की पड़ताल में उजागर हुआ कि इन बसों का बैंक लोन भी बकाया है। ऐसे में 100 से ज्यादा बसें पिछले महीनों में जब्त भी हुई हैं।

किराए से मार रहे रोडवेज को
निजी बसों और रोडवेज के किराए की प्रतियोगिता भी कमाल है। जहां निजी बस मालिक जयपुर से दिली तक महज 400 रुपए में ही यात्रियों को पहुंचा रहे हैं, वहीं परिवहन विभाग का किराया 900 रुपए तक है। ऐसे में समझा जा सकता है कि रोडवेज किस तरह प्रतियोगिता में टिका रहेगा? यह हाल सिर्फ जयपुर-दिल्ली रूट पर ही नहीं बल्कि उदयपुर से अहमदाबाद और श्रीगंगानगर से दिल्ली जैसे लगभग सभी कमाऊ रूट पर मिला।

‘मेरी लाठी तो मेरी बस’
कई जिलों में राजनीतिक रसूख के दम पर जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत भी चरितार्थ दिखी। कमाऊ रूट पर सरकारी बसों से ठीक पहले निजी बसों को संचालन की अनुमति दी गई तो कई जगह यह काम दबंगई दिखाकर बिना नियम-कायदों के भी चल रहा है। सरकारी बसों को जानबूझकर लेट करवाकर निजी बसें आगे दौड़ाई जा रही हैं।
परमिट नहीं, फिर भी दौड़ रही राज्य से बाहर
परिवहन एक्ट के अनुसार अधिकतर निजी बसों को अनुबंधित बस सेवा के परमिट जारी हैं। इसके तहत ये वाहन किसी समारोह या किसी परिवार को समूह में एक स्थान से दूसरे स्थान पर छोड़ सकतेे हैं। हालांकि सभी यात्रियों का गंतव्य और जाने का उद्देश्य एक होना चाहिए। ये वाहन अलग-अलग यात्रियों की बुकिंग नहीं कर सकते। लोक परिवहन बस सेवा के लिए स्टेट गैराज परमिट जारी हैं। ये बसें राज्य की सीमा के बाहर संचालित नहीं हो सकतीं लेकिन इन नियमों का खुलेआम उलंघन हो रहा है।

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