दरअसल, 30 जुलाई की शाम सीनियर स्केल की मांग को लेकर विश्वविद्यालय के करीब दो दर्जन से अधिक शिक्षक वार्ता करने पहुंचे थे। इस दौरान जब समाधान नहीं निकला तो उन्होंने कुलपति का रास्ता रोक लिया और दुव्र्यवहार किया। फिर भी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस घटना में शामिल शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस मामले को उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज को नई दिशा देते है और उन्हें अनुशासन में रहना जरूरी है।
छात्रों ने भी जताई शिक्षकों के व्यवहार पर नाराजगी
वहीं, यूनिवर्सिटी के कई छात्रों का कहना है कि जब स्टूडेंट्स की ओर से धरने-प्रदर्शन किए जाते है तो मामला बढ़ता देख पुलिस छात्रों को हिरासत में ले लेती हैं। पिछले महीने ही करीब एक दर्जन से अधिक छात्रों को धरने-प्रदर्शन में शांति व्यवस्था भंग करने के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस तरह के मामलों पर कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने असंतोष जताया है।
वहीं, यूनिवर्सिटी के कई छात्रों का कहना है कि जब स्टूडेंट्स की ओर से धरने-प्रदर्शन किए जाते है तो मामला बढ़ता देख पुलिस छात्रों को हिरासत में ले लेती हैं। पिछले महीने ही करीब एक दर्जन से अधिक छात्रों को धरने-प्रदर्शन में शांति व्यवस्था भंग करने के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस तरह के मामलों पर कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने असंतोष जताया है।
प्रोक्टर बोर्ड की कार्यप्रणाली गलत: मीणा
एबीवीपी के प्रांत मंत्री हुश्यार मीणा ने बताया कि छात्रों के प्रदर्शन पर विश्वविद्यालय का प्रोक्टर बोर्ड पुलिस को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिख देता है। लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ शिक्षकों की ओर से किए गए इस गलत व्यवहार के मामले में प्रोक्टर बोर्ड की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने प्रोक्टर बोर्ड की कार्यप्रणाली को गलत ठहराया है।
एबीवीपी के प्रांत मंत्री हुश्यार मीणा ने बताया कि छात्रों के प्रदर्शन पर विश्वविद्यालय का प्रोक्टर बोर्ड पुलिस को कार्रवाई करने के लिए पत्र लिख देता है। लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ शिक्षकों की ओर से किए गए इस गलत व्यवहार के मामले में प्रोक्टर बोर्ड की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने प्रोक्टर बोर्ड की कार्यप्रणाली को गलत ठहराया है।