प्रोफेसर्स की तरह ही असिस्टेंट प्रोफेसर्स के आधे पद यूनिवर्सिटी में खाली पड़े है। दरअसल, असिस्टेंट प्रोफेसर्स के आरयू में 724 पद स्वीकृत है, इनमें से फिलहाल 315 असिस्टेंट प्रोफेसर्स ही कार्यरत है। वहीं, एसोसिएट प्रोफेसर्स में 173 शिक्षक कार्यरत है, जिनमें से 150 पदोन्नत और 23 सीधी भर्ती से चयनित है। एेसे में यूनिवर्सिटी में छात्र-शिक्षक अनुपात ( Student-Teacher Ratio ) भी गड़बड़ा गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( University Grants Commission ) की गाइडलाइन भी यूनिवर्सिटी में पूरी नहीं हो पा रही है।
शिक्षकों की कमी के कारण यूनिवर्सिटी में पढ़ाई का स्तर ( Study Level ) भी लगातार गिरता जा रहा है। हालही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ( Human Resource Development Ministry ) की ओर से जारी हुई एनआईआरएफ रैंकिंग ( NIRF Ranking ) में राजस्थान यूनिवर्सिटी का नाम टॉप 200 की सूची में शामिल नहीं था। वहीं, शिक्षकों की कमी के कारण शोध के अवसर ( Research opportunities ) भी कम होते नजर आ रहे है। दरअसल, प्रोफेसर्स के निर्देशन में आठ, एसोसिएट प्रोफेसर्स के निर्देशन में छह और असिस्टेंट प्रोफेसर के निर्देशन में चार विद्यार्थी शोध कर सकते है। एेसे में बहुत ही कम स्टूडेंट्स को गाइड के रूप में प्रोफेसर्स मिल रहे है।