घोघरा ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में शराब दुकान आवंटन में आदिवासियों को सौ फीसदी आरक्षण दिया जाए या फिर दुकानें बंद कर दी जाएं। क्योंकि आदिवासी बदनाम हो रहे हैं और अंग्रेजी शराब गुजरात के लोग पी रहे हैं। अंग्रेजी शराब से हमारी आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो रही है। आदिवासी 1000 रुपए की बोतल कैसे खरीदेगा।
आदिवासी क्षेत्रों में हमारे यहां परंपरा और संस्कृति है, किसी वार-त्यौहार, मौत मरण पर पूर्वजों को धार चढ़ाते हैं। वह हमारे देसी महुआ होती है। जो फूल से बनाई जाती है। उसे हम पूजा अर्चना में चढ़ाते हैं। लेकिन पुलिस वाले घर में एक या दो बोतल मिल जाए तो उस पर 8 बोतल का झूठा मुकदमा बनाते हैं। ऐसे में हमारी संस्कृति और परंपरा को देखते हुए 8 से 10 बोतल देशी महुआ आदिवासियों को रखने का अधिकार दिया जाए।