– विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है। आरोप कि आप बेवजह अड़चन पैदा कर रहे है?
जवाब: मेरे मुद्दे प्रमाणित है, उनके आधार है। उनको बेवजह कहना उचित नहीं मानता। मुझे अफसोस है कि 21 दिन के पहले नियम विरूद्ध 6 दिन के अंतराल से विधानसभा बुलाने की सिफारिश की गई। इसे मैं सहमति नहीं दूंगा। सीएम अशोक गहलोत व मंत्री शांति धारीवाल ने परिपक्व होते हुए भी चूक की है। इस संबंध में राज्यपाल से भी बात की है।
जवाब: मेरे मुद्दे प्रमाणित है, उनके आधार है। उनको बेवजह कहना उचित नहीं मानता। मुझे अफसोस है कि 21 दिन के पहले नियम विरूद्ध 6 दिन के अंतराल से विधानसभा बुलाने की सिफारिश की गई। इसे मैं सहमति नहीं दूंगा। सीएम अशोक गहलोत व मंत्री शांति धारीवाल ने परिपक्व होते हुए भी चूक की है। इस संबंध में राज्यपाल से भी बात की है।
– सीएम गहलोत से यह चूक हुई है या जान बूझकर किया गया है ?
जवाब: मेरा मानना है कि उनसे चूक हुई है। अधिकारियों ने उन्हें सही तरीके से ब्रीफ नहीं किया। अब राज्यपाल ने इसे इश्यू बना लिया है। यह मालूम नहीं है कि राज्पाल साहब इस बात पर क्यों अड़े हुए हैं।
जवाब: मेरा मानना है कि उनसे चूक हुई है। अधिकारियों ने उन्हें सही तरीके से ब्रीफ नहीं किया। अब राज्यपाल ने इसे इश्यू बना लिया है। यह मालूम नहीं है कि राज्पाल साहब इस बात पर क्यों अड़े हुए हैं।
– राज्यपाल ने 15 जनवरी को सत्र प्रारंभ करने के आदेश दिए है। क्या आप हस्ताक्षर करेंगे ?
जवाब: मैंने राज्यपाल से कहा है कि मैं अनियमितता का साक्षी नहीं बनूंगा। हस्ताक्षर नहीं करूंगा। राज्यपाल ने मेरे सचिव को बुलाकर नौकरी से निकालने की धमकी दी। कहा— अधिसूचना जारी करो, चाहे स्पीकर साइन करें या ना करें।
जवाब: मैंने राज्यपाल से कहा है कि मैं अनियमितता का साक्षी नहीं बनूंगा। हस्ताक्षर नहीं करूंगा। राज्यपाल ने मेरे सचिव को बुलाकर नौकरी से निकालने की धमकी दी। कहा— अधिसूचना जारी करो, चाहे स्पीकर साइन करें या ना करें।
– ऐसा पहली बार नहीं हुआ, दीपेंद्र सिंह ने भी 21 दिन पहले सत्र बुलाया था ?
जवाब: मैंने भी 10 दिन के अंतराल से सत्र बुलाया है। इसके लिए कोई कारण रहता है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि मनमाने ढंग से 21 दिन से पहले सत्र बुलाया गया।
जवाब: मैंने भी 10 दिन के अंतराल से सत्र बुलाया है। इसके लिए कोई कारण रहता है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि मनमाने ढंग से 21 दिन से पहले सत्र बुलाया गया।
– क्या मुख्यमंत्री गहलोत ने खेद प्रकट किया ?
जवाब: सीएम ने खेद प्रकट नहीं किया। मैं उम्मीद कर रहा था कि वे चूक मानेंगे, राज्यपाल से सिफारिश करेंगे। लेकिन अफसोस है कि यह उम्मीद पूरी नहीं हुई।
जवाब: सीएम ने खेद प्रकट नहीं किया। मैं उम्मीद कर रहा था कि वे चूक मानेंगे, राज्यपाल से सिफारिश करेंगे। लेकिन अफसोस है कि यह उम्मीद पूरी नहीं हुई।
– अगर गहलोत आपसे बात करते। क्या फिर यह 21 दिन की समयावधि कम हो सकती थी ?
जवाब: इसे कम किया जा सकता है। स्पीकर के पास अधिकार होता है। लेकिन बताना होता है कि ऐसी क्या तत्कालीन आवश्यकता है कि 21 दिन पहले सत्र बुलाया जाए।
जवाब: इसे कम किया जा सकता है। स्पीकर के पास अधिकार होता है। लेकिन बताना होता है कि ऐसी क्या तत्कालीन आवश्यकता है कि 21 दिन पहले सत्र बुलाया जाए।
– क्या आपके बगैर हस्ताक्षर के पहली बार सत्र प्रारंभ होगा ?
जवाब: दुर्भाग्य है कि राजस्थान में 70 साल के इतिहास में यह परंपरा टूट रही है। – राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार का कारण क्या रहा ?
जवाब: कांग्रेस पार्टी ने पांच साल में ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं की जिससे कि वह जीत सके। वो तो हमारे कार्यकर्ता चुप और निराश थे, इसलिए कांग्रेस जीती।
जवाब: दुर्भाग्य है कि राजस्थान में 70 साल के इतिहास में यह परंपरा टूट रही है। – राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार का कारण क्या रहा ?
जवाब: कांग्रेस पार्टी ने पांच साल में ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं की जिससे कि वह जीत सके। वो तो हमारे कार्यकर्ता चुप और निराश थे, इसलिए कांग्रेस जीती।
देखें- आज रात 8 बजे पत्रिका टीवी के साथ विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल का इंटरव्यू