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कुलपतियों को हटाने संबंधी विधानसभा में पेश हुए बिल का विरोध शुरू

locationजयपुरPublished: Jul 26, 2019 07:05:00 pm

Submitted by:

Arvind Palawat

हालही में प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ( Vice Chancellor of Universities ) को हटाने के संबंध में लाए गए बिल ( Bill in Rajasthan Vidhansabha ) का रूक्टा (राष्ट्रीय) ने विरोध किया है। रूक्टा (राष्ट्रीय) ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष से मांग की है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण प्रशासन के लिए कुलपति चयन प्रक्रिया ( Selection Process for VC appointment ) को सही किया जाना चाहिए।

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कुलपतियों को हटाने संबंधी विधानसभा में पेश हुए बिल का विरोध शुरू

जयपुर. हालही में प्रदेश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ( Vice Chancellor of Universities ) को हटाने के संबंध में लाए गए बिल ( Bill in rajasthan vidhansabha ) का रूक्टा (राष्ट्रीय) ने विरोध किया है। रूक्टा (राष्ट्रीय) ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष से मांग की है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण प्रशासन के लिए कुलपति चयन प्रक्रिया ( Selection Process for VC appointment ) को सही किया जाना चाहिए। लेकिन एक बार चयन कर लेने पर कुलपति का कार्यकाल तीन वर्ष तक के लिए होना चाहिए, जिससे वह बिना किसी दबाव के काम कर सके।
संगठन के महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने जन घोषणा पत्र जारी किया था, जिसे अब नीतिगत दस्तावेज बनाया गया है। इसमें बताया गया है कि प्रदेश के महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में भयमुक्त वातावरण स्थापित करते हुए उनकी अकादमिक स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाएगी। लेकिन राज्य सरकार ने जन घोषणा पत्र की पालना करने के बजाय उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता को कम करने का प्रयास किया है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि कॉलेज शिक्षा में लगातार महाविद्यालय स्तर के सामान्य अकादमिक एवं प्रशासनिक कार्य भी आयुक्तालय पर केंद्रित किए जा रहे हैं। प्राचार्य की शक्तियों को सीमित किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाविद्यालय शिक्षा में ट्रांसफर को लेकर एक शिक्षक गुट भय और आतंक का माहौल बना रहा है।

सरकार कर सकती है मनमानी
संगठन के अध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि यदि यह बिल विधानसभा में पारित होता है तो फिर कोई भी राजनीतिक दल सत्ता आने पर इसका मनमाना दुरूपयोग कर सकता है। यह कानून बनने के बाद कुलपति पर कोई भी आरोप लगाकर उसे हटाने की साजिश कर सकता है। एेसे में वर्तमान सरकार ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की स्वायत्तता, निर्णय क्षमता पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है।
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