जल संसाधन विभाग की माने तो सितंबर में अब तक दो बार बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बन चुका है और उसके चलते राजस्थान के पूर्वी हिस्से में जमकर बारिश हुई है। पिछले महीने की बात की जाए तो राजस्थान में 4.25 एमक्यूएम से अधिक और कम मात्र के कुल 727 बांधों में से 281 बांध सूखे थे और माना जा रहा था कि यह अगले मानसून में ही भर सकेंगे। सितंबर की भारी बारिश ने 281 के आंकड़े को 243 पर ला पटका। राज्य में 15 दिन की बारिश के बीच 38 सूखे बांधों में पानी आया और कई लबालब भी हो गए। अभी तो मानसून की भारी से अति भारी बारिश बाकी है और माना जा रहा है कि 30 से अधिक सूखे बांधों में पानी की आवक हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा मत्स्य पालकों को फायदा होगा। क्योंकि उन्होंने राजस्थान के कई सूखे बांधों में भी मछली पानी का ठेका ले रखा है।
राजस्थान में पिछले माह पूर्ण भरे हुुए बांधों की संख्या 120 तक पहुंची थी। जब सूखे बांधों में ही पानी की आवक नहीं हो रही थी, जो माना जा रहा था कि पूर्ण भरे हुए बांधों की संख्या में इजाफा होना मुश्किल है। लेकिन भारी बारिश का दौर शुरू होेने के बाद बांधों के भी दिन फिरे और पिछले सप्ताहभर की बारिश के दौरान ही पूर्ण भरे हुए बांधों की संख्या 120 से छलांग लगातर 142 तक पहुंच गई। आगामी दिनों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना को देखते हुए जल संसाधन विभाग का मानना है कि पूर्ण भरे हुए बांधों की संख्या 150 को पार कर सकती है।
राजस्थान में संभागवार बांधों के भराव की बात करें तो पता चलता है कि कोटा संभाग में सबसे ज्यादा पानी की आवक हुई है। जल संसाधन विभाग के अनुसार पिछले माह तक कोटा संभाग के 87 बांधों में कुल भराव का 91.4 प्रतिशत पानी यानि 3966.25 एमक्यूएम पानी था, जो 15 सितंबर तक 4123.97 एमक्यूएम के साथ 95.1 प्रतिशत पहुंच गया है।