तो वहीं आरसी जारी हुए बिना ही महकमे के दबंग इन गाडि़यों पर नंबर चस्पा कर उन्हें जनता की सेवा में दौड़ा रहे हैं। जब विभाग के आला अधिकारियों की नींद खुली तो उन्होंने तकनीकी खामियों को दूर कर इतने वर्षो से अटकी हुई आरसी के लिए आरटीओ में चक्कर लगाने शुरू कर दिए। जिसके बाद पुराने रिकॉर्ड से अब तक 106 गाडि़यों की आरसी निकाली गई है, जो वर्तमान डीटीओ के हस्ताक्षर ना करने के अभाव में फिर से अटकी हुई है, तो वहीं बाकी गाड़ियों की आरसी की फिलहाल तलाश जारी है।
2011-12 मॉडल की है सभी गाडि़यों पुलिस विभाग के अधिकारी जिन गाडि़यों की आरसी के लिए कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, वे गाडि़यां 2011-12 मॉडल की हैं। ऐसे में करीब पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद अब पुलिस की नींद खुली है, जबकि ये गाडि़यां अब तक बिना किसी रोक टोक के आवंटित नंबरो के साथ सड़कों पर दौड़ रही हैं। इन गाड़ियों में दुपहिया और चौपहिया दोनों तरह के वाहन शामिल हैं, तो वहीं जानकारी के मुताबिक इनमें मोटरसाइकिल की संख्या अधिक है।
तो इसलिए अटका पड़ा है आरसी दरअसल सरकारी कोटे में रियायती दरो पर खरीदी जाने वाली गाडियां सीधे से डिपो से आती हैं। इनमें सेल टेक्स जमा करवाना अनिवार्य होता है, इसके बाद ही आरटीओ की ओर से आरसी जारी होती है। हालांकि नंबर पहले ही आवंटित कर दिया जाता है। लेकिन महकमे की लापरवाही के चलते इस टेक्स को जमा करवाने में ही पांच वर्ष से अधिक का समय लग गया। इस दौरान गाडि़यां बिना आरसी के ही सड़कों पर दौडती रही। अब विभाग के अधिकारी औपचारिकताएं पूरी कर आरसी पाने की जुगत में लगे हुए हैं।
इस कारण रुका 106 गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन कई दिनों की मशक्कत के बाद आरटीओ के बाबूओं ने इन पुरानी गाडि़यों में से 106 गाडि़यों की आरसी निकालकर तमाम औपचारिकताएं पूरी कर तैयार कर दी हैं, लेकिन अब यह डीटीओ के हस्ताक्षर के अभाव में अटकी हुई है। तो वहीं आरटीओ कार्यालय के अधिकारी इस पूरी प्रक्रिया में आरटीओ की ओर से हरी झंडी आने के बाद ही आरसी जारी किए जाने की बात कह रहे हैं, जबकि पुलिस अधिकारी नियमित रूप से इन वाहनों की आरसी के लिए आरटीओ आ रहे हैं।