जनहित याचिका दायर कर होटलों में रुके विधायकों को वेतन भत्ते रोकने यह कहते हुए चुनौती दी है कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में वित्तीय हालात सही नहीं है। लेकिन फिर भी एमएलए अपने मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों में नहीं जा रहे हैं। जनहित याचिका में कहा गया कि विधायक ना ही अपने क्षेत्र में जा रहे है और ना ही विधायी कार्य कर रहे है ऐसे में उन्हें वेतन-भत्तों का भुगतान क्यों किया जाए। पीआईएल में कहा कि प्रदेश में एक ही राजनीतिक दल से जुड़े ये एमएलए आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते आमजन के धन का दुरुपयोग कर रहे है। इसलिए जयपुर व मानेसर की होटलों में रुके हुए एमएलए के वेतन-भत्तों को रोका जाए। याचिका में सीएम सहित विधानसभा स्पीकर, विधानसभा सचिव व मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति की खण्डपीठ में याचिका पर सुनवाई होगी.
सियासी संग्राम के दौरान मुख्यमंत्री और केबिनेट की ओर से विधानसभा सत्र आहुत करने को लेकर भेजे गये प्रस्ताव को राज्यपाल ने इंकार कर दिया था। जिसके बाद एडवोकेट एस के सिंह और एडवोकेट शांतनु पारीक ने अलग अलग दो जनहित याचिकाए दायर कर हाईकोर्ट में चुनौति दी। याचिका दायर होने के दूसरे ही दिन राज्यपाल ने कैबिनेट प्रस्ताव के आधार पर सत्र को मंजूरी दे दी है। मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति की खण्डपीठ की समक्ष कल दोनों ही जनहित याचिकाएं सूचीबद्ध है। एडवोकेट एस के सिंह की याचिका में जहां सत्र आहुत करने के निर्देश देने की मांग कि गयी है वहीं एडवोकेट शांतनु पारीक की जनहित याचिका में केन्द्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए राज्यपाल को हटाने की मांग की गयी है।
कांग्रेस के बागी विधायकों में शामिल विधायक भंवरलाल शर्मा की ओर से भी दायर दो याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी। विधायक शर्मा हाईकोर्ट में चार याचिकाए दायर एसओजी और एसीबी में दर्ज एफआईआर को चुनौति दी है। साथ ही विधायक खरीद फरोख्त को लेकर एसओजी में दर्ज एफआईआर को एनआईए को ट्रांसफर करने को लेकर भी याचिका दायर की है। विधायक शर्मा की दो याचिकाओं पर आज सुनवाई होगी। जिनमें एसओजी में दर्ज एफआईआर को एनआईए को ट्रांसफर करने की मांग कि गयी है। मामले में केन्द्र व राज्य सरकार सहित जांच अधिकारी को भी पक्षकार बनाया है। दोनों याचिकेाओं पर जस्टिस सतीशकुमार शर्मा की एकलपीठ सुनवाई करेगी।