सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने मंगलवार को बताया कि गत सरकार की फसली ऋण माफी योजना के तहत डूंगरपुर जिले की लैम्पस के लाभान्वित किसानों की सूची में गैर पात्र व्यक्तियों को सम्मिलित करने के तथ्य सामने आने पर सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की जांच खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार के स्तर से करवाई जाने का फैसला लिया गया है।
डीएमआर के माध्यम से होगा किसानों को भुगतान
उन्होंने बताया कि डूंगरपुर जिले में ऋण-माफी के दौरान हुई गड़बड़ी की जांच के लिए विभाग स्तर से 2-2 सहकारी ऑडिटरों की 20 टीमों का गठन किया जाएगा, जो 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देंगे।
उन्होंने बताया कि डूंगरपुर जिले में ऋण-माफी के दौरान हुई गड़बड़ी की जांच के लिए विभाग स्तर से 2-2 सहकारी ऑडिटरों की 20 टीमों का गठन किया जाएगा, जो 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देंगे।
उन्होंने बताया कि डीएमआर (डिजिटल मेम्बर रजिस्टर) के माध्यम से ही किसानों को भुगतान की व्यवस्था को लागू किया जाएगा ताकि गड़बड़ी की संभावनाओं को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। साथ ही जिन बैंकों की शाखाओं के डीएमआर तैयार नहीं हैं उन्हें प्राथमिकता से पूर्ण किये जाने के निर्देश जारी किये गए हैं ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
रजिस्ट्रार, सहकारिता डॉ. नीरज के. पवन ने मंगलवार को सहकारिता मंत्री के निर्देश पर सहकार भवन में खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रारों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में किसानों को फसली ऋण के भुगतान की पारदर्शी एवं पुख्ता व्यवस्था स्थापित करने के लिए सभी ऋणी किसानों के खातों के डेटा का संधारण किया जाएगा तथा उन्हें आधार संख्या से लिंक भी करवाया जाएगा।
पैक्स एवं बैंक शाखाओं का 31 मार्च तक होगा निरीक्षण
रजिस्ट्रार ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं अधिकारियों को शाखाओं एवं पैक्स के निरीक्षण 31 मार्च तक पूर्ण कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए ताकि किसी प्रकार की अनियमितता या गबन की जानकारी तुरन्त हो सके। इसके अलावा संबंधित के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जा सके। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए।
रजिस्ट्रार ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं अधिकारियों को शाखाओं एवं पैक्स के निरीक्षण 31 मार्च तक पूर्ण कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए ताकि किसी प्रकार की अनियमितता या गबन की जानकारी तुरन्त हो सके। इसके अलावा संबंधित के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जा सके। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाए।
उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के माहौल में सहकारी बैंकों को कॉमर्शियल बैंकों की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बैंकों को अपनी डिपोजिट बढ़ाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए उनके स्तर से सभी जिला कलक्टर को पत्र भी लिखा जा रहा है।
डॉ. पवन ने कहा कि बैंक सदस्य किसानों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध करायें ताकि किसानों के खेती बाड़ी के कार्य प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि जिन बैंकों में ऋण असंतुलन है वहां की पैक्स में खर्चों पर नियंत्रण रखते हुये आय के संसाधन बढ़ाने के लिये प्रयास किये जाए। उन्होंने कहा कि सभी सहकारी संस्थाओं को स्थानीय मांग एवं आवश्यकता के अनुसार नए व्यवसाय शुरू करने चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ संस्था की आय में भी बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने बताया कि फसली ऋण लेने वाले किसानों के दुर्घटना बीमा के पेंडिंग क्लेम के शीघ्र निस्तारण के लिए बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों के साथ राज्य स्तरीय समिति समीक्षा करेगी ताकि ऎसे बीमा क्लेम की पेंडेंसी कम हो सके।