खासकर राजपूत समाज की आनंदपाल एनकाउंटर और फिर प्रदेशाध्यक्ष मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत की नामजदगी के मुद्दे पर तकरार के बाद बढ़ी नाराजगी अब भी पार्टी के लिए चिंता का बड़ा कारण है। शायद इसे भांपते हुए ही मुख्यमंत्री ने अपने दौरे की शुरुआत ही राजपूत राठौड़ों की कुलदेवी नागणेची माता के मंदिर में माथ टेककर कर की। राजे ने फिर बीकानेर के कद्दावर राजपूत नेता देवीसिंह भाटी को भी पूरी तवज्जो दी। एक ही कार्यक्रम में 6 बार भाटी का नाम लिया। बीकानेर पूर्व की भाजपा विधायक सिद्धीकुमारी को ‘बाई सा’ कहकर पुकारा। समाज के लोगों से घुलने मिलने की उनकी कोशिश भी कुछ नाराजगी कम करने के प्रयासों को इंगित करती दिखाई दी।
भाजपा के लिए एंटी इंकमबेंसी कम करने के साथ साथ जातिगत समीकरण बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए पार्टी अब एक नई लाइन पकड़ कर चलने की कोशिश में जुटी है। भाजपा इसके तहत एक बार भाजपा, एक बार कांग्रेस की सरकार की परम्परा बदलने का लोगों से आह्वान कर रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जयपुर दौरे में इस परम्परा को तोड़ने पर जोर दिया था। मुख्यमंत्री भी जहां जहां दौरे पर जाती है, वहां इस परम्परा को तोड़कर भाजपा को सत्ता में बनाए रखने की अपील करती नजर आती है।
बीकानेर में भी राजे ने कहा कि एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा जीतेगी तो फिर काम कौन करेगा। राजे ने कहा कि ऐसी परम्परा में बंधे रहने की बजाय आम जनता को अपने इलाके के नेताओं को दौड़ा दौड़ा कर काम लेना चाहिए। भाजपा की इस रणनीति का क्या असर होता है, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन पार्टी एंटी इंकमबेंसी, जातिगत समीकरण व उदासीन कार्यकर्ताओं की चुनौती को हलका करने के लिए बदल बदल कर सरकार बनाने की परम्परा तुड़वाने की रणनीति के सहारे नैय्या पार लगाने की कोशिश में जुटी हुई नजर आ रही है।