यह थी योजना 1 जून 2016 के बाद सरकारी अस्पतालों में जन्मी बालिकाओं के लिए यह योजना लागू हुई थी। पहले योजना में सरकारी विद्यालयों के साथ मदरसे व निजी विद्यालय शामिल थे। 11 फरवरी 2022 को शिक्षा विभाग के निदेशक की ओर से जारी आदेश में सिर्फ सरकारी विद्यालयों को योजना में शामिल करने का हवाला दिया है। वहीं योजना के तहत एक बालिका को छह किश्तों में अधिकतम 45,000 रुपए की सहायता मिलती है। मुस्लिम परिषद संस्थान के अध्यक्ष युनुस चौपदार ने राज्य सरकार से मांग की है कि अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने को लेकर योजना में रखा जाए। सरकार पंजीकृत मदरसों को विभिन्न मदों में सालाना लगभग 80 से 100 करोड़ रुपए की मदद देती है। ऐसे में इस योजना से मदरसों को हटाना गलत है।
तत्काल छूट देने की मांग
इधर, पांचवीं बोर्ड परीक्षा शुल्क निजी विद्यालयों के साथ-साथ सरकारी पंजीकृत मदरसों से भी वसूला जा रहा है। आवेदन शुल्क के नाम पर मदरसों से प्रति विद्यार्थी 40 रुपए फीस मांगी जा रही है। इसको लेकर मदरसा संचालकों में रोष है। मदरसों की संयुक्त संस्था मदरसा अल फलाह तंजीम के अध्यक्ष रफीक गारनेट ने बताया कि पूर्व से ही मदरसों की आर्थिक स्थिति बदहाल है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों से शुल्क नहीं लिया जा रहा है, जबकि सरकारी मदरसों से शुल्क लेकर दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। जल्द से जल्द मदरसों को तत्काल छूट मिलें।
तत्काल छूट देने की मांग
इधर, पांचवीं बोर्ड परीक्षा शुल्क निजी विद्यालयों के साथ-साथ सरकारी पंजीकृत मदरसों से भी वसूला जा रहा है। आवेदन शुल्क के नाम पर मदरसों से प्रति विद्यार्थी 40 रुपए फीस मांगी जा रही है। इसको लेकर मदरसा संचालकों में रोष है। मदरसों की संयुक्त संस्था मदरसा अल फलाह तंजीम के अध्यक्ष रफीक गारनेट ने बताया कि पूर्व से ही मदरसों की आर्थिक स्थिति बदहाल है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों से शुल्क नहीं लिया जा रहा है, जबकि सरकारी मदरसों से शुल्क लेकर दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। जल्द से जल्द मदरसों को तत्काल छूट मिलें।