जयपुर

Raksha Bandhan Market in Rajasthan: राखी नी नहीं बनी बात, कारोबारी निराश, महंगाई ने बिगाड़ा खेल

रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजारों में जो रौनक बनी थी, उससे कारोबारियों का उत्साह देखने वाला था, लेकिन इस उत्साह को महंगाई की नजर लग गई। जयपुर में राखी के थोक व्यापारी मगन लाल अग्रवाल का कहना है कि जो व्यापारी माल लेकर गए उन्होंने दोबारा बाजार की ओर रूख ही नहीं किया।

जयपुरAug 11, 2022 / 12:26 pm

Narendra Singh Solanki

Raksha Bandhan Market in Rajasthan: राखी नी नहीं बनी बात, कारोबारी निराश, महंगाई ने बिगाड़ा खेल

Raksha Bandhan Rajasthan Market: रक्षाबंधन के त्योहार पर बाजारों में जो रौनक बनी थी, उससे कारोबारियों का उत्साह देखने वाला था, लेकिन इस उत्साह को महंगाई की नजर लग गई। जयपुर में राखी के थोक व्यापारी मगन लाल अग्रवाल का कहना है कि जो व्यापारी माल लेकर गए उन्होंने दोबारा बाजार की ओर रूख ही नहीं किया। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाजार में इस बार राखी की डिमांड आशा के अनुरुप नहीं रही। पिछले साल से 25 फीसदी महंगी होने और आम जरूरतों के सामानों के बढ़ते दामों ने राखी के कारोबार को कमजोर कर दिया। इस साल राखी कारोबारियों को राजस्थान में 90 करोड़ रुपए की राखी बिक्री की उम्मीद थी, जोकि पूरी नहीं हो पाई। दूसरी तरफ मिठाइयों, चॉकलेट और सोने-चांदी के बढ़े हुए दामों ने भी ग्राहकों को बाजार से दूर रखा।
कोरोना काल के दो साल बाद इस बार व्यापारियों में रक्षाबंधन को लेकर जबरदस्त उत्साह था। पिछले दो साल से लड़खड़या राखी का कारोबार अब इस बार महामारी से पूरी तरह से उबरने के लिए तैयार था, लेकिन महंगाई ने कारोबार की रफ्तार को धीमा कर दिया। कच्चा माल महंगा होने से इस साल बाजारों में राखियां महंगी थी। मगन लाल अग्रवाल का कहना है कि राखी की कुल लागत करीब 25 फीसदी बढ़ी हैं। इससे व्यापारियों का मुनाफा घट गया है। कोरोना की वजह से पिछले दो साल राखी कारोबार के लिए ठीक नहीं रहे, लेकिन इस साल कोरोना का डर खत्म होने पर खुदरा कारोबारियों की डिमांड निकलने का इंतजार था। दूसरी तरफ, फोर्टी के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि शुरुआत में खुदरा कारोबारियों ने इस साल काफी ज्यादा माल खरीदा था। अब खरीद सुस्त पड़ने से नुकसान का डर भी सताने लगा है। अगर खुदरा कारोबारियों का पूरा माल नहीं बिका तो भुगतान फंसने का डर है।
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ईविल राखी की मार्केट में खूब है मांग
इस साल बाजार में किस्म-किस्म की राखियां नजर आ रही हैं। ईविल आई यानी नजरबट्टू राखी की खूब मांग है। ये राखियां 10 से 50 रुपए में मिल रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि भले ही लागत बढ़ने से राखियां महंगी हों, लेकिन कारोबार पिछले साल की तुलना में 20 से 25 फीसदी बढ़ सकता है। हालांकि इस इस साल राखी निर्माताओं पर बढ़ती लागत का भी बोझ पड़ा है। मोती, धागे, मनके से लेकर पैकेजिंग मैटेरियल तक के दाम काफी बढ़ गए हैं।
चीन से आता है कच्चा माल
देश में कुल कारोबार में 50 से 60 फीसदी हिस्सा बंगाल का है। इसके बाद राजस्थान, गुजरात, मुंबई, दिल्ली में बड़े पैमाने पर राखियां बनती हैं। चीन से राखी में लगने वाला सामान जैसे फैंसी पार्ट, पन्नी, फोम, सजावटी सामान, स्टोन आदि वहीं से आता हैं।
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