प्रदोषकाल में राखी बांधना श्रेष्ठ
ज्योतिषाचार्य पं.सुरेश शास्त्री के मुताबिक रक्षाबंधन के पर्व पर इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। दिनभर राखी बांधी जा सकेगी, इसके साथ ही ग्रहों के संयोग और योग पर्व की महत्त को शुभता प्रदान करेंगे। भद्रा सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक ही है। दोपहर एक बजकर 46 मिनट तक और प्रदोष काल के समय शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 08 मिनट तक राखी बांधने का समय शास्त्र सम्मत होगा। साथ ही अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.04 बजे से 12.55 बजे भी राखी बांधी जा सकेगी।
शास्त्री ने बताया कि राखी पर इस बार चंद्रमा कुंभ राशि में मौजूद रहेंगे और गुरु कुंभ राशि में ही वक्री चाल में मौजूद है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग का निर्माण होगा। साथ ही राजयोग भी रहेगा। वहीं सूर्य, मंगल और बुध तीनों एक साथ सिंह राशि में मौजूद रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन तीन ग्रहों का ऐसा संयोग 200 से अधिक साल बाद होगा।