वही सोच बताने की कोशिश, जो उनकी थी…
निर्देशक महेश मांजरेकर कहते हैं, ‘सावरकर के लिए लोगों के मन में अलग-अलग वर्जन हो सकते हैं, लेकिन एक फिल्ममेकर के रूप में मैं उसी सोच को प्रजेंट करने की कोशिश कर रहा हूं, जो सावरकर की थी। वह आइकॉनिक स्वतंत्रता सेनानी थे और हमारा उद्देश्य यह है कि उन्हें कोई भी भारतीय कभी नहीं भूले।’ निर्माता आनंद पंडित का कहना है कि रणदीप ने एक अभिनेता के रूप में समय-समय पर अपने कौशल का प्रदर्शन किया है। दिखाया है कि वह किसी चरित्र में खुद को पूरी तरह से ढाल सकते हैं। निर्माता संदीप सिंह ने पोस्टर जारी करते हुए सोशल मीडिया पर एक लंबा नोट लिखा है। उन्होंने लिखा, ‘हर्षद मेहता, विजय माल्या, अबू सलेम और दाऊद इब्राहिम की कहानियां कही जा रही हैं लेकिन कोई वीर सावरकर के बारे में नहीं बताना चाहता, जो कि भारत के हीरो हैं। वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जो 1947 में विभाजन से बचा सकते थे। इस फिल्म के माध्यम से मैं सावरकर के संघर्ष को दिखाना चाहता हूं। वह भारत के सबसे मिसअंडरस्टूड हीरो हैं। उन्हें वह कभी नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे।’