चला 11 वां कदम उत्सव की दूसरी प्रस्तुति के तहत युवा कलाकार स्वप्निल जैन लिखित 11 वां कदम नाटक की रीडिंग की गई। इसमें एक युवा जोड़े की कहानी को बयां किया गया। जो किराए पर मेट्रो शहर में रहता है। उनके मकान मालिक उन्हेंकिसी भी पुरुष-महिला को अपने स्थान पर लाने की अनुमति नहीं देते हैं। यह लड़की और लड़के दोनों को परेशान करता है। इसके परिणाम स्वरूप संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर जोड़े के साथ नैतिक पुलिसिंग, सामाजिक पुलिसिंग, मानहानि और हिंसा होती है। इस मानसिक और शारीरिक उत्पीडऩ के बाद दंपति ने वापस लडऩे का फैसला किया। इस नाटक की हिंदी और अंग्रेजी भाषा में रीडिंग की गई।
आप आप री सौगंध उत्सव की तीसरी कड़ी में रंगायन सभागार में शहर के वरिष्ठ नाट््य निर्देशक सरताज नारायण माथुर के निर्देशन में नाटक ‘आप आप री सौगंधÓ का सफल मंचन किया गया। लोककथा पर आधारित इस कहानी को मूलरूप से विजयदान देथा की कहानी से जोड़कर पेश किया गया। इसमें एक छोटे से चोर चरणदास के जीवन के बारे में बताया गया। वें अपने गुरु के लिए चार वचन देता है कि वह कभी सोने की थाली में भोजन नहीं करेगा, कभी ऐसा जुलूस नहीं निकालेगा जो उसके सम्मान में हो, कभी राजा न बने और राजकुमारी से कभी शादी न करे, यह सोचकर कि सभी उसके लिए दूर की संभावनाएं हैं। बाद में उनके गुरु ने एक पांचवें को कभी भी झूठ नहीं कहा और उसे अपने जीवन की यात्रापर सेट किया, जो उसे एक राज्य की ओर ले जाता है, जहां घटनाओं की बारी उसे प्रसिद्ध बनाती है और अंतत: उसेराजनीतिक शक्ति की सीट की पेशकश की जाती है, जिसके लिए उसे मना करना पड़ता है। बाद में स्थानीय राजकुमारी उससे मुग्ध हो जाती है और उससे शादी करने का प्रस्ताव रखती है। यह तब होता है जब उसके इनकार के कारण उसकी जान चली जाती है, क्योंकि उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। इसमें जयपुर रंगमंच के युवा कलाकारों ने अभिनय किया।