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रणथभ्भौर में नए पर्यटन सीजन का आगाज

locationजयपुरPublished: Oct 01, 2019 04:58:59 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

रणथभ्भौर में नए पर्यटन सीजन का आगाज30 जून तक खुला रहेगा रणथभ्भौरसवाई की पहचान है रणथभ्भौर राष्ट्रीय उद्यानरणथभ्भौर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत में सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण स्थल

रणथभ्भौर में नए पर्यटन सीजन का आगाज

रणथभ्भौर में नए पर्यटन सीजन का आगाज

रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान (Ranthambhore national park) में आज से नए पर्यटन सीजन ( Tourist season ) का आगाज हुआ। रणथम्भौर बाघ परियोजना (Ranthambhore tiger project ) के अधिकारियों ने पर्यटकों (Tourists ) को गणेश धाम से हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। नया पर्यटन सीजन 30 जून तक जारी रहेगा।
नए पर्यटन सीजन में रणथंभौर में मौसम खराब होने और लगातार बारिश होने के कारण अभी तक कई रास्तों की मरम्मत नहीं हो पाई है,ऐसे में पर्यटकों के जोन परिवर्तित कर दूसरे जोनों में भेजा जा रहा है। वहीं कुछ जोनों में जाने के रास्तों में भी बदलाव किया गया है। रणथंभौर बाघ परियोजना के मुख्य वन संरक्षक मनोज पाराशर ने बताया कि रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के जोन नंबर 2 में जाने वाले रास्ते को बदलकर अन्य रास्तों से पर्यटकों को भेजा गया है।
उत्तर भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत में सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण स्थल है। यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। वर्ष 1955 में यह वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में स्थापित हुआ। बाद में 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के पहले चरण में इसको शामिल किया गया। इस अभ्यारण्य को 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया। बाघों के अलावा यह राष्ट्रीय अभ्यारण्य विभिन्न जंगली जानवरों, सियार, चीते, लकड़बग्घा, दलदली मगरमच्छ, जंगली ***** और हिरणों की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त यहां जलीय वनस्पति जैसे लिलीए डकवीड और कमल की बहुतायत है। रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य हाड़ौती के पठार के किनारे पर बना है। यह चंबल नदी के उत्तर और बनास नदी के दक्षिण में विशाल मैदानी भूभाग पर फैला है। अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 392 वर्ग किमी है। अभ्यारण्य का नाम प्रसिद्ध रणथम्भौर दुर्ग पर रखा गया है।
राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा
रणथम्भौर उद्यान को भारत सरकार ने 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभ्यारण्य के तौर पर स्थापित किया था। बाद में देशभर में बाघों की घटती संख्या से चिंतित होकर सरकार ने इसे 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर अभ्यारण्य घोषित किया और बाघों के संरक्षण की कोशिश शुरू की। इस प्रोजेक्ट से अभ्यारण्य और राज्य को लाभ मिला और रणथम्भौर एक सफारी पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया। इसके चलते 1974 में रणथम्भौर को राष्ट्रीय अभ्यारण्य घोषित कर दिया गया। 1984 के बाद से लगातार राज्य के अभ्यारण्यों और वन क्षेत्रों को संरक्षित किया गया। वर्ष 1984 में सवाई मानसिंह अभ्यारण्य और केवलादेव अभ्यारण्य की घोषणा भी की गई। बाद में इन दोनों को बाघ संरक्षण परियोजना से जोड़ दिया गया।
यहां का मुख्य आकर्षण यहां की वाइल्ड लाइफ और खासकर टाइगर्स हैं। रणथम्भौर वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स की फेवरिट जगह है और पूरी दुनिया से फोटोग्राफर्स यहां नियमित रूप से आते रहते हैं। यहां की सफारी 392 स्क्वेयर किमी में फैली हुई है और नेशनल पार्क के पास दो सैन्चुरी मानसिंह सैन्चुरी और कैला देवी सैन्चुरी हैं। सफारी से आप घने जंगलों की सैर का मजा ले सकते हैं।

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